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इंदौर हादसा:- सुसाइड पाइंट थी मंदिर की बावड़ी, वही गई 36 जानें

इंदौर में गुरुवार को हुए भयावह हादसे में नगर निगम और स्थानीय नेताओं की भूमिका पर सवाल उठने लगे हैं। बताया जा रहा है कि जिस बावड़ी की छत धंसकने 36 लोगों की मौत हुई, उसे नगर निगम ने ही 40 साल पहले बंद कराया था। 1980 से 85 के आसपास यह सुसाइड पाइंट हुआ करता था। इंदौर के बेलेश्वर महादेव झूलेलाल मंदिर में हुए हादसे में 36 लोगों की जान चली गई है। 




मंदिर ट्रस्ट के सहासचिव लक्ष्मीकांत पटेल का कहना है कि 1980 से 85 के बीच यहां पर कई लोगों ने सुसाइड कर लिया था। जब भी कोई पंचनामा बनाया जाता था तो हमसे गवाही ली जाती थी। उस वक्त आईडीए का नाम इंप्रूवमेंट ट्रस्ट था। तब हमने वहां पर इसकी शिकायत की। इसके बाद नगर निगम ने बावड़ी को बंद करवाया था और स्लैब डलवा दी थी। पटेल ने इस हादसे में अपनी पत्नी दक्षाबेन पटेल और बहू कनक को खो दिया है।



पहली बार मंदिर के अंदर हवन करना पड़ गया भारी


लक्ष्मीकांत ने बताया कि 1970 में यहां पर गिनती के दो या तीन मकान थे। मंदिर की जगह सिर्फ ओटला था और पास में बावड़ी थी। बाद में यहां पर मंदिर बन गया। अब नया मंदिर बन रहा था। अगले साल महादेव मंदिर की मूर्तियों को इसी नए मंदिर में शिफ्ट करना था। इसी वजह से सभी ने कहा कि इस बार बाहर निर्माण कार्य चल रहा है, इसलिए हवन पूजन मंदिर के अंदर ही कर लिया जाए। इसी कारण पहली बार मंदिर के अंदर हवन पूजन किया जा रहा था और हादसा हो गया।

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