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सोमवती अमावस्या को इन कामों करने से मिलेगी पितृदोष से मुक्ति

 सोमवती अमावस्या को इन कामों करने से मिलेगी पितृदोष से मुक्ति

महाशिवरात्रि के बाद सोमवती अमावस्या का महासंयोग बन रहा है। ज्योतिषियों के अनुसार 30 साल बाद कुंभ राशि के चंद्र, शनि और सूर्य की साक्षी में सोमवती अमावस्या आ रही है। इस दिन शिप्रा व सोमकुंड में स्नान तथा सोमतीर्थ स्थित सोमेश्वर महादेव के पूजन का विधान है। मान्यता है ऐसा करने से मनुष्य को अवश्वमेघ यज्ञ करने के समान पुण्य फल की प्राप्ति होती है।


भारतीय ज्योतिष शास्त्र में वार तिथि योग नक्षत्र करण का अपना विशेष महत्व होता है। पंचांग की गणना के अनुसार देखें तो फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या इस बार दृश्यम आवश्यक रूप में सामने आ रही है। संयोग यह है कि इस अमावस्या पर सोमवार का दिन धनिष्ठा नक्षत्र परिघ योग उपरांत शिवयोग, नाग करण तथा कुंभ राशि के चंद्रमा की साक्षी रहेगी।


शास्त्रीय मत के अनुसार देखें तो इस प्रकार के योग संयोग बड़े होते हैं, खासकर तब जब उनका गणितीय आंकलन ग्रहों के परिभ्रमण से जुड़ा हुआ हो। इस प्रकार के योग संयोग में धन की देवी लक्ष्मी की आराधना तथा पितरों के निमित्त तर्पण पिंडदान करने से अनुकूलता प्राप्त होती है।

ग्रह गोचर की मान्यता के अनुसार देखें तो शनि का एक राशि में परिवर्तन ढाई साल के बाद होता है पुनः इसी राशि में आने में तकरीबन 30 वर्ष का समय लगता है। इस दृष्टिकोण से शनि का कुंभ राशि में आना और फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या पर सूर्य , चंद्र के साथ युति बनाना पितृ कर्म के दृष्टिकोण से विशेष माना गया है। यही साधना के लिए भी अनुकूल बताया गया है।

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