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सार्वजनिक पद पर बैठे लोगों के बोलने के अधिकार पर नहीं लगेगी पाबंदी - सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट आज अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता एक मामले में अहम फैसला सुनाया है। अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकार पर पाबंदी लगाने से कोर्ट ने मना कर दिया है। जस्टिस एसए नजीर की अध्यक्षता वाली 5 न्यायाधीशों की संविधान पीठ बोलने की आजादी से जुड़े इस मामले में अहम फैसला सुनाया है। कोर्ट ने कहा कि संविधान के अनुच्छेद 19(2) के तहत निर्धारित प्रतिबंधों के अलावा कोई भी अतिरिक्त प्रतिबंध नागरिक पर नहीं लगाए जा सकते हैं। कोर्ट ने ये भी कहा कि किसी मंत्री द्वारा दिए गए बयान को सरकार के लिए जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता है। अदालत ने अपने फैसले में ये कहा बयान के लिए मंत्री खुद जिम्मेदार हैं।

अतिरिक्त पाबंदी नहीं लगाई जा सकती


जस्टिस नजीर 4 जनवरी को रिटायर हो रहे हैं। ऐसे में इस मामले में आज ही सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ फैसला सुनाया है। सुप्रीम कोर्ट की मंगलवार की कार्यसूची के अनुसार मामले में दो अलग-अलग फैसले हुए, जो जस्टिस रामासुब्रमण्यम और जस्टिस नागरत्ना सुनाया।

सुप्रीम कोर्ट इस मामले में 15 नवंबर को अपना फैसला सुरक्षित रखा था और कहा थी कि सार्वजनिक पदों पर बैठे लोगों को ऐसी बातें नहीं करनी चाहिए, जो अन्य देशवासियों के लिए अपमानजनक हों। कोर्ट ने कहा कि यह व्यवहार हमारी संवैधानिक संस्कृति का हिस्सा है और इसके लिए सार्वजनिक पद पर बैठे लोगों के लिहाज से आचार संहिता बनाना जरूरी नहीं है।


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