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10वीं,11 वीं व 12 वीं शताब्दी के अवशेष, गोंगलई में एक खेत में बिखरे पड़े हैं

बालाघाट के मुख्यालय से लगी ग्राम पंचायत गोंगलई में एक किसान के खेत में दसवीं शताब्दी की भगवाने गणेश की प्रतिमा समेत अन्य देवी-देवीताओं की प्रतिमाओं के साथ ही 11 वीं, 12 वीं शताब्दी की महिला योद्धाओं की काले व लाल पत्थर की प्रतिमा के अवशेष बिखरे पड़े हैं। इन्हें  सहेजने के लिए न तो प्रशासन व संग्रहालय और न ही ग्राम पंचायत स्तर पर प्रयास किए जा रहे हैं। जिससे ये धार्मिक व ऐतिहासिक महत्व की प्रतिमाएं दिन पर दिन जीर्ण-शीर्ण हो रही हैं।


इतिहास व पुरातत्व शोध संग्रहालय से मिली जानकारी के अनुसार सन 2011 में संग्रहालय की टीम गोंगलई से गुजर रही थी तब उन्हें जमीन में प्रतिमाएं खड़ी हुई दिखाई दी जिसके बाद उन्होंने खुदाई की तो भगवान गणेश की दसवीं शताब्दी की बड़ी प्रतिमा के साथ ही महिला योद्धाओं की प्रतिमाओं के अवशेष मिले थे। जिन्हें संग्रहालय में लाने के लिए तत्कालिन कलेक्टर के आदेश पर लाने का प्रयास किया गया था, लेकिन ग्रामीणों के विरोध के चलते वे प्रतिमाओं को नहीं ला पाए थे। जिसके बाद से अब तक ये प्रतिमाएं खुले आसमान के नीचे खेत में ही पड़ी हुई हैं।

ग्रामीणों ने इसलिए किया था विरोध

गोंगलई के ग्रामीणों के अनुसार भगवान गणेश व देवी-देवताओं की प्रतिमाओं के होने से गांव में किसी भी प्रकार की समस्याएं नहीं आती हैं। वहीं ग्रामीण अपने हर शुभ कार्यो की शुरुआत उक्त स्थान पर पूजा-अर्चना करते हैं, चाहे फसल को लगाने का कार्य हो या फिर फसल को काटने या फिर अन्य कार्यक्रम उक्त स्थान पर पूजा-अर्चना करने व माथा टेकने के बाद ही शुरु किए जाते हैं और कार्य समाप्त होने पर भी मंशानुसार विशेष पूजा-अर्चना भी की जाती है। वहीं ग्रामीणों को ऐसा मानना है कि जिस वक्त उन प्रतिमाओं को अधिकारी लोग आए थे तो वहां के नागदेवता ने ग्रामीणों को दर्शन देकर परेशान किया था। जिसके चलते ये डर है कि वह प्रतिमाएं ले ली जाएंगी तो गांव को समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है।


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