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फेफड़े ई-सिगरेट पीने से भी खराब होते हैं

 यदि आप भी E-Cigarette पीने के शौकीन है तो अलर्ट हो जाएं क्योंकि हाल ही में अमेरिका स्थित रोग नियंत्रण और रोकथाम केंद्र (CDC) ने अलर्ट जारी करते हुए कहा है कि किशोर बच्चों में भी ई-सिगरेट के जरिए धूम्रपान के कारण फेफड़ों में संक्रमण के मामले बढ़े हैं। अमेरिकी में बीते कुछ सालों में E-Cigarette का चलन काफी तेजी से बढ़ा है। इसके अलावा सालाना होने वाले वार्षिक राष्ट्रीय युवा तंबाकू सर्वेक्षण के आंकड़ों से भी यह खुलासा हुआ है कि हाई स्कूल के लगभग 14.1 प्रतिशत छात्रों और मिडिल स्कूल के लगभग 3.3 प्रतिशत छात्रों ने हाल में ई-सिगरेट जैसे उत्पादों का उपयोग किया। अमेरिका में यह सर्वे CDC और खाद्य एवं औषधि प्रशासन (FDA) ने जनवरी से मई 2022 के बीच किया था। 


अमेरिकी बच्चों के ये हाल CDC और खाद्य एवं औषधि प्रशासन (FDA) के इस सर्वे शामिल 84.5 प्रतिशत छात्रों ने कहा कि वे ज्यादातर फलों या अन्य मीठे स्वादों के फ्लेवर्ड -सिगरेट का इस्तेमाल करते हैं। Campaign for Tobacco-Free Kids के अध्यक्ष Matthew Myers का कहना है कि बच्चे न केवल ई-सिगरेट के साथ प्रयोग कर रहे हैं, बल्कि उच्च-निकोटीन उत्पादों के आदी भी हो चुके हैं, जो काफी खतरनाक संकेत है।

भारतीय डॉक्टर ने किया किया खुलासा वहीं अमेरिकन ऑन्कोलॉजी इंस्टीट्यूट के कंसल्टेंट मेडिकल ऑन्कोलॉजिस्ट डॉ विशेष गुमदल का कहना है कि यह प्रचारिक किया जा रहा है कि ई-सिगरेट और वेपिंग सिगरेट पीने से बेहतर हैं, लेकिन ऐसा नहीं है। कई रिसर्च में पता चला है कि सिगरेट के धुएं में पाए जाने वाले कई रसायन वेप के धुएं में भी पाए जाते हैं. इसमें 50 से अधिक ज्ञात कार्सिनोजेन्स की पहचान की गई है,

जो फेफड़ों को नुकसान पहुंचाते हैं। धूम्रपान की तरह ई- सिगरेट में भी निकोटिन होता है, जिससे नशे की लत लग सकती है। हालांकि वेपिंग को फेफड़ों के कैंसर से जोड़ने वाले वैज्ञानिक सबूत अभी नहीं मिले है और इस संबंध में पर्याप्त शोध भी नहीं हुआ है। पश्चिमी देशों में भी ये आदतें लोगों के लिए बिल्कुल नई हैं और फेफड़ों के कैंसर के कारण की एक कड़ी स्थापित करने के लिए कुछ दशकों के शोध की जरूरत हो सकती है।


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