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PM नरेन्द्र मोदी ने कूनो के बाड़े में चीतों को छोड़ा, कैमरे से ली उनकी तस्वीरें


भोपाल : प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कूनो अभयारण्य में नामीबिया से आए चीतों को बाड़े में छोड़कर एक बार फिर देश में चीता युग की शुरुआत कर दी है। चीतों को छोड़ने के बाद प्रधानमंत्री ने कैमरे से उनकी तस्वीरें ली, इसके बाद उन्होंने चीता मित्रों के साथ संवाद किया। इस दौरान उनका एक वीडियो संदेश प्रसारित हुआ, जिसमें प्रधानमंत्री ने कहा कि चीते हमारे मेहमान हैं, उनको देखने के लिए कुछ समय का धैर्य और रखना होगा। इसके पहले चीतों को नामीबिया से विशेष विमान से ग्वालियर लाया गया था और वहां से चीनूक हेलिकाप्टर के द्वारा कूनो पहुंचाया गया। 

75 साल पहले वर्ष 1947 में देश में आखिरी बार चीता देखा गया था। छत्तीसगढ़ में कोरिया के महाराजा ने तीन चीता शावकों का एक साथ शिकार किया था। वर्ष 1952 में भारत सरकार ने चीतों को विलुप्त घोषित कर दिया था। इसके बाद आज देश में फिर से चीतों की वापसी हुई है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने वीडियो संदेश में कहा कि हमारे यहां एशियाई शेरों की संख्या में भी बड़ा इजाफा हुआ है। इसी तरह, आज गुजरात देश में एशियाई शेरों का बड़ा क्षेत्र बनकर उभरा है। इसके पीछे दशकों की मेहनत, रिसर्च बेस पालिसी और जन-भागीदारी की बड़ी भूमिका है। आज देश में 75 वेटलैंड को रामसर साइट्स के रूप में घोषित किया गया है, जिनमें 26 साइट्स पिछले 4 वर्षों में ही जोड़ी गई हैं। देश के इन प्रयासों का प्रभाव आने वाली सदियों तक दिखेगा, और प्रगति के नए पथ प्रशस्त करेगा। बाघ की संख्या को दोगुना करने का जो लक्ष्य तय किया गया था उसे समय से पहले हासिल किया है। असम में एक समय एक सींग वाले गैंडों का अस्तित्व खतरे में पड़ने लगा था, लेकिन आज उनकी भी संख्या में वृद्धि हुई है। हाथियों की संख्या भी पिछले वर्षों में बढ़कर 30 हजार से ज्यादा हो गई है। 

आज 21वीं सदी का भारत, पूरी दुनिया को संदेश दे रहा है कि इकोनामी और इकोलाजी कोई विरोधाभाषी क्षेत्र नहीं है। पर्यावरण की रक्षा के साथ ही, देश की प्रगति भी हो सकती है, ये भारत ने दुनिया को करके दिखाया है।प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने वीडियो संदेश में कहा कि कूनो नेशनल पार्क में जब चीता फिर से दौड़ेंगे, तो यहां का ग्रासलैंड इकोसिस्टम फिर से रिस्टोर होगा, बायोडायवर्सिटी और बढ़ेगी। अंतरराष्ट्रीय गाइडलाइन्स पर चलते हुए भारत इन चीतों को बसाने की पूरी कोशिश कर रहा है। हमें अपने प्रयासों को विफल नहीं होने देना है। 

कूनो नेशनल पार्क में छोड़े गए चीतों को देखने के लिए देशवासियों को कुछ महीने का धैर्य दिखाना होगा, इंतजार करना होगा। आज ये चीते मेहमान बनकर आए हैं, इस क्षेत्र से अनजान हैं। कूनो नेशनल पार्क को ये चीते अपना घर बना पाएं, इसके लिए हमें इन चीतों को भी कुछ महीने का समय देना होगा। कूनो नेशनल पार्क में छोड़े गए चीतों को देखने के लिए देशवासियों को कुछ महीने का धैर्य दिखाना होगा, इंतजार करना होगा। आज ये चीते मेहमान बनकर आए हैं, इस क्षेत्र से अनजान हैं। कूनो नेशनल पार्क को ये चीते अपना घर बना पाएं, इसके लिए हमें इन चीतों को भी कुछ महीने का समय देना होगा। प्रकृति और पर्यावरण, पशु और पक्षी, भारत के लिए ये केवल सस्टेनबिलिटी और सिक्युरिटी के विषय नहीं हैं। हमारे लिए ये हमारी सस्टेनबिलिटी और स्प्रीच्चुलिटी का भी आधार हैं।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र माेदी ने इस माैके पर कहा कि चीताें के साथ ही भारत की प्रकृति प्रेरणा तेजी से जागृत हाेगी। पीएम ने चीताें के लिए नामीबिया सरकार काे धन्यवाद दिया। उन्हाेंने कहा कि मुझे विश्वास है कि यह चीते न केवल प्रकृति के प्रति जिम्मेदारियाें का बाेध कराएंगे, बल्कि हमे मानवीय मूल्याें से भी अवगत कराएंगे। 1947 में  देश में आखिरी तीन चीते बचे थे, उनका भी शिकार कर लिया गया। अब हमने  जाे इतिहास में खाेया है, उसे फिर पाने का समय है। 

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