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पीएम मोदी ने लाल किले से पंच प्रणों का अलख जगाया

 प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आजादी के अमृत वर्ष में लाल किले से दिए गए भाषण में तात्कालिक विषयों को बिलकुल अनछुआ रखा। वे न तो महंगाई और न ही आतंकवाद या पाकिस्तान अथवा विदेशी नीति पर बोले और न ही किसी नई योजना का उन्होंने जिक्र किया। पीएम का पूरा जोर अगले 25 सालों यानी आजादी की स्वर्ण जयंती के लक्ष्यों को लेकर देश में अलख जगाने पर रहा। 

पीएम मोदी ने आज के अपने ऐतिहासिक भाषण में दो बड़ी चुनौतियों के रूप में भ्रष्टाचार और तथा भाई भतीजावाद या परिवार वाद पर फोकस किया। इससे साफ है कि 2024 की चुनावी जंग भी परिवारवादी दलों और भ्रष्टाचार के खिलाफ निर्णायक रूप से लड़ी जाएगी।


प्रधानमंत्री के लाल किले से होने वाले संबोधन में देश की सभी प्रमुख समस्याओं व शासन की मौजूदा व भावी रीति नीति की झलक पेश की जाती है। पीएम मोदी भी अक्सर देश की आंतरिक व बाह्य चुनौतियों का जिक्र करते रहे हैं, लेकिन इस बार उन्होंने कई प्रमुख मुद्दों को अनछुआ छोड़ दिया और न नहीं उन्होंने विपक्षी दलों पर सीधा हमला बोला। उन्होंने राजनीति में परिवार वाद और उससे भी भ्रष्टाचार बढ़ने का जिक्र, लेकिन इसमें किसी दल को निशाना नहीं बनाया। परिवार वादी राजनीति व भ्रष्टाचार के रिश्तों को लेकर उन्होंने हमला बोला तो इसके लिए किसी एक दल को जिम्मेदार ठहराने की बजाए अपनी पार्टी भाजपा को भी परोक्ष रूप से नसीहत दे दी। 

महंगाई का जिक्र नहीं

पीएम मोदी ने अपने भाषण में महंगाई, जिसे लेकर विपक्ष लगातार सरकार को घेर रहा है, का जिक्र तक नहीं किया। माना जा रहा है कि सरकार चूंकि गरीबों को मुफ्त खाद्यान्न वितरित कर 80 करोड़ लोगों को सीधा लाभ पहुंचा रही है, इसलिए वह इससे ज्यादा किसी राहत देने की गुंजाइश में नहीं दिखती। केंद्रीय कर्मचारियों के महंगाई भत्ते में इजाफा कर वह बड़े तबके को परोक्ष राहत पहुंचा रही है। पीएम किसान सम्मान निधि व पीएम आवास योजनाएं भी करोड़ों लोगों के लिए राहतकारी है। उम्मीद की जा रही थी कि पीएम   मोदी 'आयुष्मान भारत' स्वास्थ्य बीमा का दायरा बढ़ाकर सभी के लिए करने का एलान कर सकते हैं, लेकिन इस बार उन्होंने एक भी नई योजना घोषित नहीं की। 

विदेश नीति या पाकिस्तान का उल्लेख नहीं

पीएम के भाषण में विदेश नीति का सीधा कोई जिक्र नहीं था। चीन व पाकिस्तान से रिश्तों या आतंकवाद को भी उन्होंने बिलकुल तवज्जो नहीं देकर कहा कि दुनिया आज कई समस्याओं के समाधान के लिए भारत की ओर देख रही है। इस संदर्भ में उन्होंने विश्व के समक्ष ग्लोबल वार्मिंग एवं खाद्यान्न संकट का जिक्र करते हुए भारत की ताकत पर गर्व जताया। आतंकवाद को लेकर भी भारत दुनिया को हमेशा चेताता रहा है, यही कारण है कि विश्व के कई देश इससे निपटने के लिए भारत से परामर्श लेते हैं।

आजादी के अमृत वर्ष में 'अमृत मंथन' से निकले पंच प्रण

पीएम मोदी ने कई अहम मुद्दों को छोड़कर 'आजादी के अमृत काल' में अगले 25 सालों के लिए अमृत मंथन करते हुए पंच प्रण व्यक्त किए हैं। इन्हीं पंच प्रणों की गहराई को समझें तो सरकार व देश का समग्र चिंतन प्रकट होता है। पहले प्रण 'विकसित भारत' की बात करें तो उन्होंने कहा कि हम कब तक दूसरे देशों का मुंह ताकेंगे। इसके साथ उन्होंने स्वदेशी तोप का जिक्र कर बताया कि किस तरह भारत रक्षा क्षेत्र में आत्म निर्भर बनता जा रहा है। पीएम ने खाद्यान्न उत्पादन समेत अर्थव्यवस्था के कई क्षेत्रों में जैसे कि भीम यूपीआई का जिक्र कर देश की ताकत का वर्णन किया। 

अगले 25 सालों में यानी 2047 तक 'स्वर्णिम भारत' बनाने पर जोर

पीएम मोदी ने अपने 83 मिनट के भाषण में पूरा जोर अगले 25 सालों में यानी 2047 तक 'स्वर्णिम भारत' बनाने पर दिया। इसके लिए उन्होंने जिन पांच प्रमुख प्रणों या संकल्पों का आह्वान किया, उसे उनके नेतृत्व वाली एनडीए सरकार के भावी वादे इरादे साफ प्रकट हो रहे हैं। 

पांच प्रणों में पिरोई पूरी तस्वीर

मोटे तौर पर देखें तो पीएम ने पांचों प्रणों में देश के मौजूदा व भावी परिदृष्य से जुड़ी सारी बातें कवर की हैं। पीएम मोदी ने पहले प्रण के रूप में 'विकसित भारत' का संकल्प लिया। विकसित देश से आशय साफ है कि हम हर क्षेत्र में ताकतवर बनें। इसकी राह में हजारों चुनौतियां आने लेकिन उतने ही समाधान की भी पीएम ने बात कही है। दुनिया के पांच विकसित व वीटो पावर से लैस देशों में अमेरिका, चीन, रूस, ब्रिटेन व फ्रांस शामिल हैं। भारत को अब तक विकासशील देश माना जाता रहा है लेकिन अब वह शक्तिशाली रूप ले चुका है। 

दूसरे प्रण के रूप में पीएम ने गुलामी की मानसिकता का खात्मा करने की बात कही है। इसके जरिए एक देश में एक राष्ट्र की भावना जगाने का प्रयास किया। देश में गुलामी के प्रतीकों व मानसिकता के खात्मे व उससे बाहर निकलने का आह्वान किया गया है। इसमें भाषाई गुलामी व देश की प्राचीन भाषाओं के प्रति सम्मान की बात भी उन्होंने कही। यह एक भारत, सशक्त भारत की नीति के अनुरूप है। 

तीसरे प्रण के रूप में उन्होंने विरासत पर गर्व करने का संकल्प जताया। ये भारत की महान परंपराओं, विचारों, आविष्कारों पर गर्व करते हुए नव निर्माण एवं वसुधैव कुटुंबकम, सर्वे भवंतु सुखिन: जैसे विश्व बंधुत्व के भावों से जुड़ा है। इसमें समानता, सहिष्णुता, सह अस्तित्व के सिद्धांत भी शामिल हैं। 

पीएम ने चौथे प्रण के रूप में एकता व एकजुटता पर जोर दिया है। इसका सीधा इशारा देश की एकता व एकजुट होकर नए भारत का निर्माण करने की ओर है। एकजुटता में सभी धर्मों, जातीयों, भाषाओं को साथ लेकर देश में शांति व एकजुटता के साथ विकास में सहभागी बनने की ओर है। 

पांचवें संकल्प के रूप में पीएम ने नागरिकों के कर्तव्य को तवज्जो देकर हर नागरिक से देश के प्रति ईमानदार रहने के आह्वान किया है। यानी पहले देश फिर हम की सरकार की नीति स्पष्ट की है। पीएम के इन प्रणों से अमृत काल के अमृत मंथन के सूत्र निहित हैं।


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