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हमने नर्मदा को बर्बाद करने का महापाप किया - सीएम

  भोपाल : मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा है कि हमारे देश में समस्या है कि विद्वान ज्ञान बहुत देते हैं। समस्याएं बहुत बताते हैं पर जब खुद काम करने की बारी आए तो बुद्धि विलास तक सीमित रह जाते हैं। स्व. अनिल माधव दवे ने अपना जीवन देश के लिए जिया। वे अपना काम अधूरा छोड़ गए हैं, जिसे पूरा करने में हम कोई कसर नहीं छोड़ेंगे। यह उन्हें सच्ची श्रद्धांजलि होगी। उन्होंने कहा कि वे रोज एक पौधा लगाते हैं और अब अपने खेतों में एक छोटी सी नर्सरी भी बनाएंगे।


राजधानी के नेहरू नगर स्थित मैपकास्ट के सभागार में स्व. अनिल माधव दवे की स्मृति में आयोजित नदी उत्सव में सीएम चौहान ने कहा कि मेरी दो मां हैं, एक जन्म देने वाली और दूसरी नर्मदा मां है। सतपुड़ा और विन्ध्याचल नर्मदा मां के दो भाई हैं। मैंने नर्मदा का विध्वंस अपनी आंखों से देखा है। यह हम सबने किया है। खासतौर पर जिन किसानों की जमीन नर्मदा के किनारे थी। हमने नर्मदा को बर्बाद करने का महापाप किया है। विनाश के लिए हम खुद जिम्मेदार हैं।

कई लोगों ने नर्मदा के किनारे ही बड़े आश्रम तान दिए। नर्मदा को बचाना है तो सिर्फ गुडी-गुडी बोलने से काम नहीं चलेगा। हम नर्मदा किनारे सारे शहरों में सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट लगा रहे हैं। नर्मदा किनारे कोई नया निर्माण नहीं होने देंगे। उन्होंने कहा कि भोपाल वालों ने टायलेट में फ्लश करके कलियासोत और बड़े तालाब में फेंक दिया है।

सभी जिलों में शुरू होंगे प्राकृतिक खेती प्रशिक्षण
मुख्यमंत्री ने कहा है कि फसलों में उपयोग किए जा रहे कीटनाशकों से केवल कीट नहीं मरते हैं, बल्कि अन्न और सब्जियों के साथ मनुष्य के शरीर में जाकर ये मनुष्य को भी बीमार करते हैं। इस धरती को आने वाली पीढ़ियों के रहने लायक रहने देना है, तो हमें अभी से रासायनिक खेती की बजाय धीरे-धीरे प्राकृतिक खेती की ओर बढ़ना होगा।

नदी मरती है तो एक संस्कृति भी मरती है: पटेल
केंद्रीय जल शक्ति मंत्री प्रह्लाद पटेल ने कहा कि जब एक नदी मरती है तो एक संस्कृति भी मरती है। नदियों के मरने से संस्कृतियों का अंत होता है। हमने न जाने कितनी ऐसी नदियों को मरते देखा है। ऐसी कितनी संस्कृतियों की हत्या की है। हमें इस ओर ध्यान देना होगा और अपनी गलतियों को सुधारना होगा। मंत्री पटेल ने ये बातें नदी उत्सव 2022 को लेकर आयोजित कार्यक्रम खेती किसान-नदी की जुबानी कार्यक्रम में मैपकास्ट के सभागार में कहीं। इस मौके पर प्रदेश के विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्री ओम प्रकाश सखलेचा भी मौजूद रहे। पूर्व केंद्रीय मंत्री अनिल माधव दवे की पुण्यतिथि पर आयोजित यह कार्यक्रम दो दिन तक चलेगा। शाम की इसी तारतम्य में नदी का घर (स्व दवे का निवास) में भजन संध्या होगी। कल दिन में मैपकास्ट सभागार में खुला सत्र चर्चा के लिए आयोजित किया गया है।

उपजाऊ क्षमता बढ़ाती है प्राकृतिक खेती
सीहोर जिले के नसरुल्लागंज में आयोजित कृषक प्रशिक्षण कार्यक्रम को वर्चुअली संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री चौहान ने कहा कि आज से प्रदेश के 17 जिलों में प्राकृतिक खेती के लिए प्रशिक्षण शिविर प्रारंभ हुआ है। यह प्रदेश के सभी जिलों में आयोजित किया जाएगा। प्राकृतिक खेती पूरी तरह से कुदरती खेती है। यह भूमि की उपजाऊ क्षमता बढ़ाती है। इसमें रासायनिक खाद, कीटनाशक की जरूरत नहीं पड़ती है। इसमें पानी भी कम लगता है। बाहर से किसी भी प्रकार की खाद या अन्य सामग्री की जरूरत नहीं पड़ती। प्राकृतिक खेती केवल कर्मकांड नहीं है, धरती को बचाने का अभियान भी है। नदियों को बचाने का अभियान है। इंसान की जिंदगी को बचाने का भी अभियान है। ये धरती केवल मनुष्यों के लिए नहीं है, पशु-पक्षी, कीट-पतंगे, जीव-जंतुओं के लिए भी है।

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