भोपाल । मध्य प्रदेश के गेहूं का निर्यात बढ़ाने के लिए राज्य सरकार ने अधिकारियों को गुजरात, महाराष्ट्र, बंगाल और आंध्र प्रदेश भेजा है। अधिकारी वहां निर्यातकों से बातचीत कर उन्हें मध्य प्रदेश का गेहूं निर्यात करने के लिए प्रोत्साहित कर रहे हैं। इसके लिए मंडी बोर्ड में पंजीयन का शुल्क भी 3.16 लाख रुपये से घटाकर मात्र 1000 रुपये किया गया है। डेढ़ प्रतिशत मंडी शुल्क की प्रतिपूर्ति भी सरकार करेगी और बंदरगाहों पर अनाज रखने का व्यवस्था भी बनाई गई है ताकि निर्यातकों को परेशानी न हो।
मध्य प्रदेश से तीन लाख टन गेहूं निर्यात
मंडी बोर्ड के प्रबंध संचालक विकास नरवाल ने बताया कि गेहूं निर्यात बढ़ाने के लिए उठाए गए इन कदमों के परिणाम सामने आ रहे हैं। अभी तक प्रदेश से तीन लाख टन गेहूं निर्यात किया जा चुका है। अभी तक तीन पंजीयन हुए हैं।
भुगतान नहीं होने की शिकायतें दूर करें: सीएम
उधर, मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने गेहूं और चना उपार्जन के साथ ही गेहूं निर्यात को लेकर अधिकारियों के साथ बैठक की। उन्होंने कहा कि उपज बेचने के बाद भुगतान नहीं होने की शिकायतें मिल रही हैं। जो भी समस्या है, उसे तत्काल दूर करें। भुगतान में विलंब नहीं होना चाहिए।
किसान के आधार से लिंक खाते में भुगतान करने की व्यवस्था
इस बार किसान के आधार से लिंक खाते में भुगतान करने की व्यवस्था लागू की है। इसमें कुछ समय लगा है। रविवार तक 25 लाख 76 हजार टन गेहूं का उपार्जन किया गया। किसानों को 5191 करोड़ रुपये का भुगतान किया जाना है। 1107 करोड़ रुपये के भुगतान पत्रक तैयार हो चुके हैं। 24762 किसानों को 344 करोड़ रुपये का भुगतान कर दिया है। अब प्रतिदिन लगभग 35 हजार किसानों के खातों में पांच सौ करोड़ रुपये का भुगतान किया जाएगा। दो मई तक सभी लंबित भुगतान कर दिए जाएंगे।
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