....

बजट सत्र में हो सकता है मध्‍य प्रदेश विधानसभा उपाध्यक्ष का चुनाव

 भोपाल। दो साल से मध्य प्रदेश विधानसभा में उपाध्यक्ष का पद रिक्त पड़ा है। कमल नाथ सरकार गिरने के बाद विधानसभा उपाध्यक्ष पद के लिए चुनाव की प्रक्रिया नहीं हो पाई है। दरअसल, भाजपा और कांग्रेस दोनों ही पार्टी उपाध्यक्ष पद को लेकर दुविधा में हैं। पहले परंपरा रही थी कि आमतौर पर उपाध्यक्ष का पद विपक्ष को दिया जाता रहा है। लेकिन 2018 में हुए विधानसभा चुनाव के बाद कमल नाथ सरकार ने यह परंपरा तोड़ दी थी। जिसके चलते अब भाजपा भी विपक्ष को यह पद देना नहीं चाहती है। इधर कांग्रेस को उम्मीद है कि सरकार विपक्ष को यह पद देकर परंपरा निभाएगी।



उपाध्यक्ष पद को लेकर विवाद की शुरूआत 2019 में तब हुई थी, जब भाजपा ने विपक्ष में रहते हुए विधानसभा अध्यक्ष पद के लिए विजय शाह को खड़ा कर चुनाव कराया था। इसी कारण कांग्रेस ने उपाध्यक्ष पद परंपरा अनुसार मुख्य विपक्षी दल भाजपा को न देते हुए पार्टी की हिना कांवरे को उपाध्यक्ष बनाया था। परिस्थितियां बदलीं और भाजपा सत्ता में आ गई।

कांग्रेस की ओर से उपाध्यक्ष का पद प्रतिपक्ष को देने की मांग भी रखी गई पर इसको लेकर निर्णय नहीं लिया गया। उधर, भाजपा सात मार्च से प्रारंभ होने वाले सत्र में उपाध्यक्ष का चुनाव कराने की तैयारी में है। संसदीय कार्यमंत्री डा.नरोत्तम मिश्रा ने साफ किया कि कांग्रेस ने जो परंपरा शुरू की थी, उसे हम निभाएंगे।

उपाध्यक्ष का पद हमारे पास ही रहेगा। उधर, विधानसभा सचिवालय ने शासन को प्रस्ताव दिया है कि जब तक उपाध्यक्ष का चुनाव नहीं हो जाता है तब तक उपाध्यक्ष को मिलने वाले स्वेच्छानुदान का उपयोग करने का अधिकार अध्यक्ष को दे दिया जाए। उपाध्यक्ष को प्रतिवर्ष एक करोड़ रुपये की स्वेच्छानुदान निधि मिलती है। कांग्रेस मुख्य सचेतक डा गोविंद सिंह का कहना है कि विधायक दल की बैठक में हम उपाध्यक्ष पद क ेलिए अपनी रणनीति तय करेंगे। जरूरत पड़ी तो प्रत्याशी भी ख्ाड़ा कर सकते हैं।

Share on Google Plus

click Anonymous

    Blogger Comment
    Facebook Comment

0 comments:

Post a Comment