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मध्‍य प्रदेश की सरकार 80 हजार शिक्षकों को क्रमोन्नति देने पर विचार कर रही

भोपाल । राज्य सरकार वर्ष 2006 के बाद नियुक्त करीब 80 हजार शिक्षकों को क्रमोन्नति देने पर विचार कर रही है पर उन्हें यह लाभ कब तक मिलेगा, यह बताना सरकार के लिए अभी मुमकिन नहीं है। विधायक राकेश मावई के प्रश्न के उत्तर में यह जानकारी सरकार की ओर से स्कूल शिक्षा राज्यमंत्री इंदरसिंह परमार ने विधानसभा में लिखित में दी। नवदुनिया ने तीन मार्च के अंक में 'शिक्षकों की क्रमोन्नति : किसको दें अधिकार, तीन साल में तय नहीं बना पाई सरकार" शीर्षक से प्रमुखता से प्रकाशित किया है।



विधायक ने यह भी पूछा है कि अध्यापक संवर्ग की स्कूल शिक्षा विभाग में नियुक्ति की गई है या संविलियन। इस पर सरकार ने बताया कि मप्र राज्य स्कूल शिक्षा सेवा (शैक्षणिक संवर्ग) सेवा शर्तें एवं भर्ती नियम 2018 के तहत कार्रवाई की गई है।

विधायक ने राज्य शिक्षा केंद्र सहित अन्य इकाइयों के परस्पर संविलियन का सवाल किया, जिस पर सरकार ने साफ किया है कि ऐसा कोई प्रस्ताव विचाराधीन नहीं है। वहीं मिडिल, हाईस्कूल और हायर सेकंडरी स्कूलों में पूर्णकालिक प्रधानाध्यापक और प्राचार्य की भर्ती एवं पदोन्नति के सवाल पर सरकार ने कहा कि पदोन्नति में आरक्षण का मामला सुप्रीम कोर्ट में लंबित है। इस मामलें में कोर्ट ने स्टेटस को (यथास्थिति) के निर्देश दिए हैं। इसलिए समय सीमा नहीं बता सकते हैं।

विधायक ने पूछा-सहायक शिक्षकों को पदनाम कब मिलेगा

विधायक निलय विनोद डागा ने पूछा है कि सहायक शिक्षकों को क्रमोन्नत वेतनमान के आधार पर पदनाम कब तक मिलेगा। इस पर सरकार ने साफ कर दिया है कि समय सीमा बता पाना संभव नहीं है। क्योंकि प्रकरण नीतिगत स्वरूप का है। डागा का सवाल था कि मुख्यमंत्री ने सितंबर 2017 में भोपाल और दिसंबर 2017 में नसरुल्लागंज में आयोजित शिक्षक सम्मेलन में सहायक शिक्षकों को क्रमोन्नति के आधार पर पदनाम देने की घोषणा की थी। जिसका पालन चार साल बाद भी नहीं हो रहा है।


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