यूक्रेन और रूस के बीच युद्ध (War) का खतरा अपने चरम पर है. रूस के राष्ट्रपति व्लादिमिर पुतिन ने रूसी सेना को पूर्वी यूक्रेन के रूस समर्थक 'अलगाववादियों के दो क्षेत्रों' में घुसने का आदेश दे दिया है. रूस पश्चिमी देशों की चेतावनी और प्रतिबंधों को पूरी तरफ से अनसुना कर रहा है. रूस के इस आदेश से यूक्रेन में भयंकर युद्ध का संकट और गहरा गया है. इससे पहले क्रेमलिन के नेता पुतिन ने यूक्रेन के दोनेत्सक (Donetsk) और लुहांस्क (Lugansk) क्षेत्रों को अलग स्वतंत्र देश का दर्जा दे दिया था. इससे यूक्रेन की सीमा पर तैनात 1,90,000 रूसी सेना के लिए इन क्षेत्रों में घुसने का रास्ता साफ हो गया था.
दो आधिकारिक आदेशों में पुतिन ने रक्षा मंत्री को आदेश दिया कि विद्रोहियों के इलाके में "शांतिस्थापना का काम शुरू किया जाए".
लुहांस्क और दोनेत्सक इलाकों ने 2014 में ही खुद को यूक्रेन से अलग घोषित कर लिया था. इन इलाकों में रूसी मूल के विद्रोहियों की संख्या अधिक है. रूस की तरफ से इन इलाकों को यूक्रेन से अगल देश के तौर पर मान्यता दिए जाने की अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर निंदा हो रही है और अमेरिका और यूरोपियन यूनियन की ओर से रूस पर प्रतिबंध भी लगाए जाएंगे. बीती देर रात यूक्रेन में जब रूस की तरफ से यह खबर आई तो एक बारगी यूक्रेनियों के लिए विश्वास करना मुश्किल लगा लेकिन यूक्रेन निवासी अपने देश की सीमाओं की रक्षा के लिए तैयार हैं.
इससे पहले संयुक्त राष्ट्र (United Nations) में अमेरिकी राजदूत लिंडा थॉमस-ग्रीनफील्ड (US ambassador Linda Thomas-Greenfield) ने रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के उस दावे को बकवास बताया है, जिसमें पुतिन ने कहा है कि जिन सैनिकों को पूर्वी यूक्रेन में भेजने का आदेश दिया गया है, वे सैनिक शांतिदूत होंगे.
अमेरिकी दूत ने यूक्रेन संकट पर बुलाई गई सुरक्षा परिषद की आपातकालीन बैठक में कहा, "हम जानते हैं कि वे वास्तविकता क्या है?" अमेरिका ने कहा कि यूक्रेन के दो विद्रोही और अलगाववादी इलाकों को स्वतंत्र मान्यता देना क्षेत्र में युद्ध को भड़काने का बहाना है.
संयुक्त राष्ट्र में अमेरिकी राजदूत लिंडा थॉमस-ग्रीनफील्ड ने 15 सदस्यीय परिषद की आपात बैठक में कहा, "रूस की कार्रवाइयों के परिणाम पूरे यूक्रेन, पूरे यूरोप और दुनिया भर में भयानक होंगे."
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