हिंदू धर्म के अनुसार हर साल फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को महाशिवरात्रि का पर्व मनाया जाता है। इस दिन भक्त भोलेनाथ को प्रसन्न करने व्रत रखते हैं। वह भगवान की पूजा-अर्चना करते हैं। इस वर्ष महाशिवरात्रि 1 मार्च, मंगलवार को मनाई जाएगी। इस दिन पंचग्रही योग बन रहा है।
महाशिवरात्रि व्रत विधि
शिवरात्रि व्रत से एक दिन पहले, त्रयोदशी पर प्याज का सेवन नहीं करना चाहिए। शिवरात्रि के दिन सुबह उठकर स्नान करने के बाद भगवान शिवजी के आगे व्रत रखने का संकल्प लेना चाहिए। संकल्प के दौरान जातक व्रत की अवधि पूरा करने के लिए भगवान शंकर का आशीर्वाद लेते हैं। महाशिवरात्रि का व्रत अगले दिन सूर्योदय होने के बाद नहाकर ही खोला जाता है। मान्यता है कि शिवजी की पूजन और पारण चतुर्दशी तिथि में की जाती है।
चार प्रहर की पूजा
महाशिवरात्रि की पूजा रात्रि में एक या चार बार अलग प्रकार से की जाती है। चार बार शिव पूजन करने के लिए चार प्रहर प्राप्त करने के लिए रात की अवधि को चार भागों में विभाजित किया जाता है। इस दिन हर एक प्रहर की अलग पूजा विधि है। शिवरात्रि के दिन रुद्राभिषेक का खास महत्व है।
चार प्रहर की पूजा का समय
- रात्रि प्रहर पूजा : शाम 6.21 से रात 9.27 बजे तक
- रात्रि प्रहर पूजा : रात 9.27 से रात 12.33 बजे तक
- रात्रि प्रहर पूजा : रात्रि 12.33 से सुबह 3.39 बजे तक
- रात्रि प्रहर पूजा : सुबह 3.39 बजे से 6.45 बजे तक
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