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Janjati Gaurav Diwas : PM मोदी ने कहा- जनजातीय महापुरुषों का बलिदान देश भूल नहीं सकता


 भोपाल : प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आदिवासियों के योगदान का स्मरण करते हुए कहा कि जनजातीय वर्ग के बिना प्रभु राम को जीवन में सफलता संभव नहीं थी। इन्हीं लोगों ने जंगल में पहुंचे एक राजकुमार को उसके लक्ष्य तक पहुचाने में मदद की। इस वर्ग के योगदान ने ही उन्हें मर्यादा पुरूषोत्तम बनाया। इसी तरह गुलामी के कालखंड में कई संग्राम हुए, उसमें भी जनजातीय वर्ग का विशेष योगदान रहा है। रानी कमलापति का बलिदान देश भूल नहीं सकता है। महाराणा प्रताप का बलिदान भीलों के सहयोग के बिना संभव नहीं था। प्रताप ने वर्षों जो संघर्ष किया, उसमें भील समाज का सर्वाधिक योगदान रहा है।

इसी सोच के कारण जनजातीय वर्ग के बाहुल्य वाले जिले विकास से वंचित रह गए। ऐसे 100 से ज्यादा जिलों के विकास को हमारी सरकार ने सर्वोच्च प्राथमिकता दी है। अब तक हमारी सरकार ने 150 मेडिकल कालेज खोल दिए हैं। पहले की सरकारों ने जनजातीय वर्ग का दोहन किया, हम सही इस्तेमाल कर रहे हैं। सृजन आदिवासी परंपरा का हिस्सा है लेकिन पिछली सरकारों ने उसे बाजार तक उपलब्ध नहीं कराया।इस वर्ग द्वारा तैयार उत्पादों और पेंटिंग्स के लिए बाजार उपलब्ध करवा रहे हैं। बांस की खेती को भी कानूनी मकड़जाल में उलझा रखा था। आत्मनिर्भर बनाने के लिए निरंतर प्रयास किए जा रहे हैं। ट्राइफेक पोर्टल के माध्यम से आनलाइन बिक्री की जा रही है। लकड़ी और पत्थर पर कलाकारी आविासी बरसों से कर रहे हैं। मोटा अनाज अब ब्रांड बन रहा है। जंगल की जमीन के 20 लाख पट्टे बांटकर चिता मुक्त कर दिया।

उन्‍होंने कहा कि शिक्षा की ज्योति जलाने के लिए देशभर में 750 एकलव्य आवासीय विद्यालय खोले जा रहे हैं। जिन छात्रों पर सात साल पहले तक 40 हजार रुपये खर्च किए जा रहे थे, अब उन पर एक लाख रुपये खर्च हो रहे हैं। 30 लाख छात्रों को छात्रवृत्ति दे रहे हैं। जल जीवन मिशन से 30 लाख घरों में शुद्ध पेयजल पहुंच रहा है। हमारी प्राथमिकता है कि कोई समाज पीछे न रह जाए।

मोदी ने कहा कि प्राकृतिक संपदा का एक बड़ा हिस्सा भी स्थानीय विकास पर खर्च किया जा रहा है। खनन की नीतियों में बदलाव कर स्थानीय लोगों को रोजगार उपलब्ध कराया जा रहा है। प्रधानमंत्री ने कहा कि देश को बचाने में आदिवासी टीकाकरण कराकर मदद कर रहे हैं। सौ साल की सबसे बड़ी महामारी से दुनिया लड़ रही है। वैक्सीन लगवाया जाना महत्वपूर्ण है। शहरों में रहने वालों के लिए आदिवासियों का आगे होकर टीका लगवाना सीखने जैसा है।

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