सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को खुद के द्वारा रद्द की गई आयकर कानून की धारा 66ए के तहत मामला दर्ज किए जाने को लेकर हैरानी जताई है. सर्वोच्च अदालत ने इसे चौंकाने वाला बताया है. समाचार एजेंसी पीटीआई की खबर के अनुसार, जस्टिस आरएफ नरीमन, जस्टिस केएम जोसेफ और जस्टिस बीआर गवई की बेंच ने गैर-सरकारी संगठन (एनजीओ) पीपल्स यूनियन फॉर सिविल लिबर्टीज (पीयूसीएल) की ओर से दायर आवेदन पर केंद्र को नोटिस जारी किया. सुप्रीम कोर्ट ने आयकर कानून की धारा 66ए को वर्ष 2015 में रद्द कर चुका था.
बेंच ने पीयूसीएल की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता संजय पारीख से कहा कि क्या आपको नहीं लगता कि यह आश्चर्यजनक और चौंकाने वाला है? श्रेया सिंघल फैसला 2015 का है. यह वाकई चौंकाने वाला है. जो हो रहा है वह भयानक है. पारीख ने कहा कि 2019 में अदालत के स्पष्ट निर्देश दिए कि सभी राज्य सरकारें 24 मार्च 2015 के फैसले के बारे में पुलिस कर्मियों को संवेदनशील बनाएं. बावजूद इसके इस धारा के तहत हजारों मामले दर्ज कर लिए गए.
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