Bhopal, MP: मध्य प्रदेश सरकार ने भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988 की धारा 17 A को वापस ले लिया है जिसके तहत लोक सेवकों,शासकीय अधिकारी व कर्मचारियों के विरुद्ध जाँच,पूछताछ या अन्वेषण करने से पूर्व सामान्य प्रशासन विभाग (GAD) से अनुमति माँगे जाने का प्रावधान किया गया था।
सरकार ने यह कार्रवाई लोकायुक्त न्यायाधीश एनके गुप्ता द्वारा इस बारे में नाख़ुशी ज़ाहिर करने के कारण की है।इस बारे में बताया GAD को दो महीने पहले कारण बताओ नोटिस दिया गया था।जवाब न आने पर हाल ही में लोकायुक्त द्वारा पुनः नोटिस भेजा गया था।
GAD द्वारा 26.12.2020 को जारी सर्कुलर में कहा गया था कि भ्रष्टाचार निवारण एजेंसी जैसे EOW और लोकायुक्त को धारा 17 ए के तहत किसी भी अधिकारी के ख़िलाफ़ पूछताछ या जाँच करने के पूर्व GAD से अनुमति लेनी होगी।
इस बारे में मध्य प्रदेश शासन के सामान्य प्रशासन विभाग की अवर सचिव रंजना पाटन ने 26 जुलाई को निर्देश जारी किए हैं।
पत्र में लिखा गया है कि राज्य शासन के ध्यान में है यह तथ्य आया है कि संदर्भित ज्ञापन के कारण ऐसा माना जा रहा है कि पुलिस अधिकारी/अन्वेषण एजेंसी को भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988 की धारा 17 ए के अंतर्गत जाँच करने के लिए राज्य शासन से पूर्व अनुमति प्राप्त करना अनिवार्य हो गया है। संदर्भित ज्ञापन के अवलोकन से यह स्वत: स्पष्ट है कि राज्य शासन ने पुलिस अधिकारी/अन्वेषण एजेंसी को अधिनियम की धारा 1 7 ए के अंतर्गत जाँच के लिए अनिवार्यत: पूर्व अनुमति प्राप्त करने के कोई निर्देश नहीं दिए गए हैं।वस्तुतः इस ज्ञापन के माध्यम से ऐसे प्रकरणों जिनमें कि संबंधित पुलिस अधिकारी/अन्वेषण एजेंसी जाँच करने की पूर्वानुमति प्राप्त करना वांछित समझता हो,ऐसी पूर्व अनुमति दिए जाने की प्रक्रिया का उल्लेख किया गया है।
अत:इस अपनिर्चन को समाप्त करने के उद्देश्य से सामान्य प्रशासन विभाग का ज्ञापन क्रमांक एफ 15-01/2014/1-10 दिनांक 26.12.2020 एवं दिनांक 06.01.2021 अतिक्रमित किया जाता है।इस विषय पर निर्देश पुन: पृथक से जारी किए जा रहे हैं।
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