नई दिल्ली । पश्चिम बंगाल की सियासत में जैसे-जैसे चुनाव की तारीख नजदीक आ रही है, आरोप प्रत्यारोप का दौर भी तेज हो गया है। बंगाल में जयश्रीराम के नारे पर बिफरने वाली तृणमूल कांग्रेस की नेत्री ममता बनर्जी को एक बार फिर बड़ा झटका लगा है। बंगाल चुनाव में जयश्री राम नारे पर पाबंदी लगाने का मामला सुप्रीम कोर्ट भी पहुंचा लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने इस मांग को खारिज कर दिया। सुप्रीम कोर्ट ने भाजपा नेताओं पर कार्रवाई की मांग भी खारिज कर दी। पहले तो याचिकाकर्ता एमएल शर्मा से हाई कोर्ट जाने को कहा, लेकिन जब उन्होंने कोर्ट को एक पुराने फैसले का हवाला देते हुए याचिका सुनने का आग्रह किया तो याचिका खारिज कर दी।
मुख्य न्यायाधीश की पीठ ने की सुनवाई
मंगलवार को मामले की सुनवाई प्रधान न्यायाधीश SA बोबडे, न्यायमूर्ति AS बोपन्ना और V. राम सुब्रमण्यम की पीठ ने की। एमएल शर्मा ने मामले पर बहस करते हुए बंगाल में 8 चरणों में चुनाव कराने समेत श्रीराम के नारे पर भी सवाल खड़ा किया। कोर्ट ने उन्होंने कहा कि वे इस बारे में हाई कोर्ट में याचिका दाखिल करें। वे सुप्रीम कोर्ट के एक पूर्व फैसले का हवाला देना चाहते हैं। शर्मा ने यह भी कहा कि यह कोई चुनाव याचिका नहीं है। एक पार्टी धार्मिक नारे का इस्तेमाल कर रही है। मैं हाई कोर्ट क्यों जाऊं?
दलीलों पर पीठ ने कहा कि आपने याचिका में लोगों को अभियोजित किए जाने की मांग की है। यह कोर्ट ऐसा आदेश कैसे दे सकता है? यह अधिकार सिर्फ हाई कोर्ट को चुनाव याचिका पर है। तभी शर्मा ने 1978 के सुप्रीम कोर्ट के फैसले का हवाला दिया।
पीठ ने साफ कहा, हम आपके सहमत नहीं
सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने कहा कि हम आपसे सहमत नहीं कोर्ट ने शर्मा से कहा कि वह फैसले का वह अंश पढ़कर सुनाएं, जिसमें कहा गया है कि सुप्रीम कोर्ट चुनाव प्रक्रिया शुरू होने के बाद प्रचार के दौरान अनुचित तरीके अपनाने के बारे में सुनवाई कर सकता है। इस जबाव देते हुए शर्मा ने कहा कि मामले की सुनवाई बुधवार को कर ली जाए लेकिन पीठ ने इससे साफ मना करते हुए कहा कि वह बार-बार इसे नहीं सुनेगी। आप अभी इसे पढ़कर सुनाएं। शर्मा ने जब फैसले का उक्त अंश पढ़ने की कोशिश की तो लेकिन पीठ ने कहा कि ठीक है। हम आपसे सहमत नहीं हैं और याचिका खारिज कर दी।
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