उज्जैन : ज्योतिर्लिंग महाकाल मंदिर में 13 नवंबर से तीन दिवसीय दीपपर्व का आगाज होगा। पुरोहित समिति द्वारा आरोग्यता व समृद्धि की कामना से महाकाल की महापूजा की जाएगी। दीपोत्सव को लेकर मंदिर में आकर्षक विद्युत सज्जा हो रही है। इस बार कोरोना संक्रमण के कारण सभी आयोजन सादगी से होंगे।
पुरोहित समिति के अध्यक्ष ने बताया कि धन त्रयोदशी भगवान धन्वंतरि के प्राकट्य का दिन है। इस दिन कोरोना संकट के निवारण व देश में सुख-समृद्धि की कामना से भगवान महाकाल की महापूजा की जाएगी। इस बार कोरोना संक्रमण के चलते त्रयोदशी सदगी से मनाई जाएगी।
केवल पुरोहित समिति के सदस्य भगवान की पूजा-अर्चना व प्रार्थना करेंगे। पूजा के उपरांत सिक्के आदि न्योछावर नहीं होंगे। इससे पूर्व धनतेरस पर भगवान पर चांदी के सिक्के न्योछावर करने की परंपरा रही है। इसके अलावा प्रशासनिक अधिकारियों को भी आमंत्रित किया जाता रहा है, मगर इस बार यह भी नहीं होगा।
मंदिर की परंपरा अनुसार रूप चतुर्दशी पर 14 नवंबर को दीपावली मनाई जाएगी। इस दिन से भगवान महाकाल को गर्म जल से स्नान कराने की शुरुआत होगी। पं. महेश पुजारी ने बताया तड़के चार बजे पुजारी परिवार की महिलाएं भगवान महाकाल को केसर, चंदन का उबटन लगाएंगी।
पश्चात पुजारी सुगंधित द्रव्य, फलारस व गर्मजल से भगवान को स्नान कराएंगे। राजाधिराज का सोने चांदी के आभूषण से श्रृंगार कर नवीन वस्त्र धारण कराए जाएंगे। इसके बाद अन्न्कूट में छप्पन पकवानों का भोग लगाकर फुलझड़ी से आरती की जाएगी। कोरोनाकाल के कारण भक्तों को भस्मारती दर्शन के लिए फिलहाल प्रवेश नहीं दिया जा रहा। ऐसे में यह आयोजन भी प्रतीकात्मक होगा।
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