चीन के खुराफातों के परेशान केंद्र सरकार आरपास
के मूड में आ गई है। लोकप्रिय चायनीज ऐप पर पाबंदी लगाने के बाद अब सरकार विचार कर
रही है कि देश में 5G नेटवर्क से भी चीनी कंपनियों को बाहर कर दिया
जाए। सरकार ने इस संबंध में प्लानिंक शुरू कर दी है। इस कोशिश के तहत सोच-विचार चल
रहा है कि देश में 5G स्पेक्ट्रम की नीलामी प्रक्रिया को इस साल टाल
दिया जाए। 5G नेटवर्क के भविष्य को लेकर भारत और अमेरिका के
बीच विमर्श भी चल रहा है। इससे पहले सोमवार को अमेरिकी विदेश मंत्रालय ने अपने सभी
मित्र देशों से 5G नेटवर्क विस्तार को लेकर सतर्क रहने और
भरोसेमंद तकनीकी कंपनी की सेवा ही लेने की अपील की थी।
5G पर भारत और अमेरिका मिल सकते हैं हाथ
सबकुछ ठीक रहा तो जल्द ही भारत और अमेरिका इस
दिशा में हाथ बढ़ा सकते हैं। अमेरिका भी इसके लिए राजी है। वहां के संचार आयोग ने
भारत के साथ मिलकर 5G तकनीकी पर काम करने की बात कही है। दुनिया में
हुआवे, नोकिया (फिनलैंड) और एरिक्सन (स्वीडन) कंपनियां हैं, जो
प्रमुख तौर पर 5G तकनीकी के लिए आवश्यक इंफ्रास्ट्रक्चर दे रही
हैं। भारतीय बाजार पर हुआवे काफी दांव लगाए हुए है। हुआवे की भारत से उम्मीद इसलिए
भी अधिक है कि अमेरिका और यूरोपीय बाजार में उसके खिलाफ माहौल बन गया है। यानी
भारत सरकार चीनी कंपनियों के बहिष्कार का फैसला लेती है तो यह हुआवे के लिए एक और
बड़ा झटका होगा।
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