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कोरोना का साया अहमदाबाद में भगवान जगन्नाथ की जलयात्रा पर


गुजरात में कोरोना के मद्देनजर जहाँ कल कारखानों सहित विविध सेवाएं बाधित हुई हैंं। वहीं इस बार अहमदाबाद की ऐतिहासिक भगवान जगन्नाथ की रथयात्रा पर भी कोरोना का विपरीत असर की संभावना है। संभव है इस बार की यह यात्रा में सीमित लोगों को ही शामिल किया जाये, परन्तु उससे पूर्व आयोजित जलयात्रा में इस बार भक्त और संतगण शामिल नहीं होगे।


जगन्नाथ मंदिर की रथयात्रा में केवल अहमदाबाद ही नहीं अपितु पूरे गुजरात सहित अन्य राज्यों से भी लोग यहाँ यात्रा में शामिल होते हैं। रथयात्रा से पूर्व पांच जून को जलयात्रा का आयोजन किया जाता है। जगन्नाथ मंदिर की ओर से अधिकारिक तौर पर कहा गया है कि जनता इस बार की रथयात्रा सादगी पूर्ण आयोजित की जायेगी।
अहमदाबाद जगन्नाथ मंदिर के ट्रस्टी महेन्द्र झा ने बताया कि राज्य में भगवान जगन्नाथ मंदिर की 143 वीं रथयात्रा 23 जून को है। इस एतिहासिक रथयात्रा में इस बार क्या-क्या और कैसे-कैसे करना सम्बंधी विचार विर्मश के लिए 20 जून को ट्रस्टी मंडल की बैठक आयोजित की जायेगी। इस बार कोरोना संक्रमण के मद्देनजर हालात विकट है।
ऐसे में गुजरात के लाखों लोगों के शामिल होनेवाली इस यात्रा को बड़ी सूझ बूझ के साथ सीमित रूप से आयोजित करने का निर्णय किया जायेगा। इससे पूर्व आयोजित जलयात्रा को सीमित करना पड़ेगा। उन्होंने कहा कि पांच जून को आयोजित जलयात्रा में इस बार संत और भक्तगण शामिल नहीं होंगे। उन्होंने गुजरात के इतिहास में यह पहली बार होगा जब जलयात्रा में साधु-संत शामिल नहीं होंगे।
17 जून लॉकडाउन समाप्त होने के बाद इस बारे में विविध बाबतों की चर्चा राज्य सरकार से की जायेगी। भगवान श्री जगन्नाथ मंदिर की रथयात्रा के बारे में ट्रस्टी गण के साथ बैठक आयोजित कर निर्णय लिया जायेगा। जलयात्रा के दिन से भगवान अपने भाई तथा बहन सुभद्रा के साथ ननिहाल आते हैं। इस बार भी कार्यक्रम तो आयोजित किया जायेगा परन्तु इसमें बहुत कम लोग ही शामिल होंगे। इसमें सोशियल डिस्टैंसिंग का विशेष ध्यान रखा जायेगा।
उन्होंने कहा कि जलयात्रा के बाद भगवान जगन्नाथ भाई बलदेव एवं बहन सुभद्रा के साथ मामा के घर जाते है। वहाँ जेठ सूद पूर्णिमा के दिन गजवेश के श्रृंगार किया जाता है। इस बार रथयात्रा का आयोजन तो होगा परन्तु कोरोना के कारण बहुत ही सीमित होगा। राज्य की जनता को टीवी पर ही भगवान जगन्नाथ जी की रथयात्रा देखने की मानसिकता रखनी पड़ेगी। इस प्रकार की व्यवस्था पर विचार विमर्श किया जा रहा है। आखिर निर्णय बैठक के बाद लिया जायेगा।

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