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वैशाख पूर्णिमा को है दान का महत्व


वैशाख पूर्णिमा का शास्त्रों में बहुत महत्व बतलाया गया है। मान्यता है कि इस दिन दान-पुण्य करने से सभी मनोकामनाओं की पूर्ति होती है और कष्टों से छुटकारा मिलता है। इस समय गर्मी अपने चरम पर होती है इसलिए जल और जल से संबंधित वस्तुओं का दान करने का बड़ा महत्व है। कहा यह भी जाता है कि इस व्रत के प्रभाव से अकाल मृत्यु का भय नहीं रहता है।

वैशाख पूर्णिमा की पूजाविधि
वैशाख पूर्णिमा के दिन सूर्योदय से पूर्व उठकर स्नान आदि से निवृत्त हो जाएं। इसके बाद पूजन के लिए घर के मंदिर को गंगाजल या किसी पवित्र नदी या उसके अभाव में स्वच्ठ जल से धोकर साफ करें। भगवान विष्णु को पंचामृत से स्नान करवाने के बाद शुद्ध जल से स्नान करवाएं और एक पाट पर साफ कपड़ा बिछाकर उनको उसके ऊपर विराजित करें। श्रीहरी की कुमकुम, अक्षत, अबीर, गुलाल, हल्दी मेंहदी, सुगंधि फूल आदि से पूजा करें। पंचामृत, पंचमेवा, ऋतुफल, मिठाई आदि का भोग लगाएं। घी का दीपक और धूपबत्ती जलाएं। भगवान विष्णु की आरती के साथ पूजा का समापन करें और पूजा के बाद ब्राह्मणों और जरूरतमंदों को भोजन करवाएं, दान करें।
वैशाख पूर्णिमा 2020 तिथि और मुहूर्त
वैशाख पूर्णिमा तिथि – 7 मई, गुरुवार
पूर्णिमा तिथि प्रारम्भ - 6 मई, बुधवार को 7 बजकर 44 मिनट से
पूर्णिमा तिथि समाप्त - 7 मई, गुरुवार को 4 बजकर 14 मिनट तक
वैशाख पूर्णिमा के दिन दान-पुण्य और धर्म-कर्म करने का बड़ा महत्‍व है। इस तिथि को सत्य विनायक पूर्णिमा भी कहा जाता है। वैशाख पूर्णिमा पर ही भगवान विष्णु का तेइसवें अवतार महात्मा बुद्ध के रूप में अवतरीत हुए थे, इसलिए बौद्ध धर्म के अनुयायियों के लिए इस दिन का बड़ा महत्व हैं।

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