....

बिजली की दर में केंद्र सरकार ने किया नियमों बदलाव


केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय द्वारा जारी अधिसूचना के बाद ऐसा माना जा रहा है कि आने वाले दिनों में लोगों को सस्ती बिजली मिलेगी। मंत्रालय ने पावर प्लांटों में धुले कोयले के उपयोग की अनिवार्यता को खत्म कर दिया है। इससे पहले धुले कोयले से ही बिजली बनाने की अनिवार्यता थी। नियमों में बदलाव करने के साथ ही पर्यावरण मंत्रालय ने भी यह स्वीकार किया है कि वॉश कोल के उपयोग से बिजली उत्पादन मंहगा हो जाता है। नई व्यवस्था के तहत अब कोयला खदानों से कोयला निकलकर सीधे पावर प्लांटों में पहुंचेगा और इसी कोयले से बिजली का उत्पादन होगा।


ताप विद्युत संयंत्रों को भी कोयला खदानों से निकले कोयले के उपयोग से खर्च में कमी आएगी। ऐसा माना जा रहा है कि इससे आम उपभोक्ताओं को भी लाभ मिलेगा। कोयला खदानों से कोल वॉशरी और फिर वहां से धुले कोयले को पावर प्लांटों में परिवहन किए जाने के कारण पर्यावरण भी काफी तेजी के साथ प्रदूषित हो रहा था। इस पर अब प्रभावी तरीके से अंकुश लगेगा।
आमतौर पर सड़क व रेल मार्ग से कोयले का परिवहन किया जाता है। रेल मार्ग से कम और सड़कों के जरिए कोल का परिवहन सबसे ज्यादा होता है। कोल परिवहन में पर्यावरण एवं प्रदूषण मंत्रालय द्वारा जारी एडवाइजरी का भी पालन नहीं किया जा रहा है। इसका दुष्परिणाम ये हो रहा है कि वायु प्रदूषण मानक स्तर से ज्यादा हो रहा है। खुले वाहन में कोल परिवहन के कारण कोयले का कण भी हवा में तेजी के साथ उड़ते रहता है।
पानी के दोहन पर लगेगी रोक, प्रदूषण का कम होगा स्तर
जारी अधिसूचना में कोयला मंत्रालय ने यह भी खुलासा किया है कि वॉशरी में कोयले की धुलाई के दौरान पर्यावरण को चौतरफा नुकसान उठाना पड़ रहा है। कोयले की धुलाई के लिए पानी की भारी मात्रा की आवश्यकता होती है। वॉशरी परिसर में 25-25 हॉर्सपावर के मोटर पंप के जरिए भूजल से पानी खींचा जाता है। भूजल का दोहन के कारण जल स्तर में भी तेजी के साथ गिरावट आते जा रही है। कोयले के कीचड़ और उड़ते कोयले के कण भी पर्यावरण को तेजी के साथ प्रदूषित कर रहा है।

Share on Google Plus

click vishvas shukla

    Blogger Comment
    Facebook Comment

0 comments:

Post a Comment