अपनी तीसरी प्रेस कॉन्फ्रेंस में किसानों की आय
बढ़ाने पर जोर दिया। इसके लिए पशुपालकों के लिए कई प्रावधान किए हैं। सरकार ने
ऐलान किया है कि गाय, भैंस, बकरी समेत सभी पशुओं का टीकाकरण किया
जाएगा, ताकि उन्हें बीमारियों से बचाया जा सके। साथ ही किसानों द्वारा किए
गए जाने स्थानीय उत्पादों जैसे आम, मखाना, केसर को
अंतर्राष्ट्रीय ब्राण्ड बनाया जा जाएगा।वहीं, पीएम मत्स्य
संपदा योजना में 20,000 करोड़ का प्रावधान किया गया है। इसमें समुद्री
और अंतर्देशीय मत्स्य पालन के लिए और 9,000 करोड़ रुपये इन्फ्रास्ट्रक्चर के
विकास के विकास में लगाया जाएगा। पढ़िए अन्य बड़े ऐलान
ऑपरेशन ग्रीन्स को टमाटर, प्याज
और आलू (TOP) से सभी फलों और सब्जियों (TOTAL) तक
बढ़ाया जाएगा। दरअसल, पहले टमाटस, प्याज और आलू
खराब होने पर सरकार किसानों की मदद करती थी। अब किसी भी प्रकार की सब्जी खराब होने
पर राहत मिलेगी। इसके लिए 500 करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया है।
इन सब्जियों के मालभाड़े पर 50 फीसदी की छूट मिलेगी और भंडारण (कोल्ड
स्टोरेज में भी) पर भी 50 फीसदी सब्जी दी जाएगी।
अन्य बड़ी घोषणाएं
15,000 करोड़ रुपये का पशुपालन बुनियादी ढांचा विकास
कोष स्थापित किया जाएगा।
हर्बल खेती को बढ़ावा देने के लिए 4000
करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं; अगले 2 वर्षों में 10,00,000
हेक्टेयर जमीन को कवर किया जाएगा।
खुरपका-मुंहपका और ब्रुसेलोसिस के लिए 13,343
करोड़ रुपये के कुल परिव्यय के साथ राष्ट्रीय पशु रोग नियंत्रण कार्यक्रम शुरू
किया गया।
सरकार ने समुद्री और अंतर्देशीय मत्स्य पालन के
विकास के लिए 20,000 करोड़ रुपये की प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा
योजना शुरू करेगी। इस कार्यक्रम से 55 लाख लोगों को रोजगार मिलने की उम्मीद
है।
किसानों को प्रोसेसरों, एग्रीगेटर्स,
बड़े
रिटेलर्स, निर्यातकों के साथ निष्पक्ष और पारदर्शी तरीके से जुड़ने के लिए एक
सुविधाजनक कानूनी ढांचा बनाया जाएगा।
किसानों की उपज को अच्छा मूल्य उपलब्ध कराने के
लिए पर्याप्त विकल्प प्रदान करने को एक केंद्रीय कानून तैयार किया जाएगा, जिससे
बाधा रहित अंतरराज्यीय व्यापार और कृषि उपज के ई-ट्रेडिंग के लिए रूपरेखा तैयार की
जा सके।
किसानों को बेहतर मूल्य प्राप्ति के लिए आवश्यक
वस्तु अधिनियम में संशोधन किया जाएगा; कृषि उत्पादों में अनाज, खाद्य
तेल, तिलहन, दालें, प्याज और आलू को डी-रेगुलेट किया
जाएगा।
एकीकृत मधुमक्खी पालन विकास केंद्रों, संग्रह,
विपणन
और भंडारण केंद्रों और मूल्य संवर्धन सुविधाओं से संबंधित बुनियादी ढांचे के विकास
के लिए 500 करोड़ रुपये की योजना लागू की जाएगी; इससे
2 लाख मधुमक्खी पालनकर्ताओं की आय में वृद्धि होगी।
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