भोपाल ! मुख्यमंत्री कोविड 19 योद्धा कल्याण
योजना में उन निजी और शासकीय अस्पतालों के चिकित्सक और स्टाफ को ही 50
लाख रुपए का सुरक्षा कवच मिलेगा जो राज्य शासन के डेडिकेटेड कोविड हॉस्पिटल में
शामिल किए गए हैं। इस योजना में पोस्टमार्टम की आवश्यकता उस स्थिति में लागू होगी
जब उस अस्पताल का कर्मचारी आने जाने के दौरान दुर्घटना का शिकार होगा और उसकी मृत्यु
हो जाएगी।
जिसे कोरोना बीमारी है उसके लिए पोस्टमार्टम
रिपोर्ट की जरूरत नहीं होगी। योजना के बारे में राजस्व विभाग की प्रमुख सचिव मनीष
रस्तोगी ने बताया कि यह बीमा योजना नहीं है बल्कि आउटराइट पेमेंट सिस्टम है। निजी
अस्पतालों के सभी चिकित्सक और स्टाफ के इसके दायरे में शामिल नहीं हैं बल्कि योजना
में उन अस्पतालों के ही विशेषज्ञ, डॉक्टर, नर्स, वार्ड
बॉय और अन्य स्वास्थ्य कर्मी शामिल होंगे जो शासन द्वारा को कोविड 19 के
ट्रीटमेंट के लिए डेडिकेटेड घोषित किए गए हैं।
रस्तोगी ने कहा कि इन अस्पतालों में काम करने वाले
डॉक्टर और स्टाफ को अगर कोरोना होता है तो वह सबकी जानकारी में होगा और उसके लिए
किसी भी तरह के पोस्टमार्टम रिपोर्ट की जरूरत नहीं होगी। इसके विपरीत यदि यहां का
स्टाफ घर से अस्पताल आने-जाने के दौरान दुर्घटना का शिकार होता है तो उस स्थिति
में क्योंकि उसे कोरोना नहीं है तो पोस्टमार्टम की रिपोर्ट ही उसे लाभ देने का
आधार बनेगी। पोस्टमार्टम की रिपोर्ट इसी आधार पर प्रभावी होगी। इसी तरह की स्थिति
अन्य विभागों में काम कर रहे अधिकारियों-कर्मचारियों के मामले में भी मान्य की
जाएगी।
सीएम के पीएस और पदेन प्रमुख सचिव राजस्व
रस्तोगी ने कहा कि पूर्व में जिन निजी चिकित्सकों की मृत्यु कोरोना से हुई है उनके
परिजनों को इसका लाभ नहीं मिलेगा क्योंकि वह डेडिकेटेड कोविड हॉस्पिटल में सेवाएं
नहीं दे रहे थे। उन्होंने यह भी साफ किया कि अगर कोई घर पर रहता है और सरकार की
जानकारी में आये बगैर कोरोना से उसकी मौत होती है तो उसे भी इसका लाभ नहीं मिलेगा।
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