नई दिल्ली : आइसीएमआर (ICMR) ने चीनी रैपिड टेस्टिंग किट में खामी पाए जाने के बाद इससे कोरोना संक्रमितों की जांच पर रोक लगा दी है। राज्यों से ये किट लौटाने को कहा गया है ताकि इन्हें चीन की फर्मो को वापस कर दिया जाए। राहत की बात यह है किट आपूर्ति करने वाले को अब तक कोई भुगतान नहीं किया गया है। इसके साथ ही आइसीएमआर ने इस आरोप को नकार दिया है कि चीनी कंपनी से 600 रुपये प्रति किट खरीदने का फैसला गलत था। किट ने अब राजनीतिक रंग भी ले लिया है।
विपक्षी दल की ओर से इसमें भ्रष्टाचार का आरोप लगाया गया है। जबकि सरकार की ओर से पूरी विवरण देते हुए जहां आरोप नकारा गया है वहीं किट को वापस करने का भी फैसला लिया गया है। चीनी कंपनी वोंडफो बायोटेक से रैपिड टेस्टिंग खरीदे जाने की प्रक्रिया का खुलासा करते हुए आइसीएमआर (ICMR) ने कहा कि इसे कोरोना के संकट के संदर्भ में देखा जाना चाहिए, जब सभी देश टेस्टिंग खरीदने की कोशिश कर रहे हैं। उसके अनुसार रैपिड टेस्टिंग खरीदने के पहले प्रयास में किसी सप्लायर ने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी। दूसरी बार टेंडर जारी करने के बाद वोंडफो और बायोमेडिक्स नाम की दो कंपनियों की ओर से इसकी आपूर्ति का दावा किया गया।
यही नहीं, इन कंपनियों ने रैपिड टेस्टिंग किट के लिए अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों की ओर से जारी जरूरी सर्टिफिकेट भी दिखाये। इसके बाद इन टेस्टिंग किट को खरीदने का फैसला किया। आइसीएमआर के अनुसार सप्लायर और कंपनी की कीमत में भारी अंतर को देखते हुए सीधे कंपनी से संपर्क कर किट खरीदने की कोशिश की गई। लेकिन कंपनी की कड़ी शर्तों के कारण यह संभव नहीं हो सका। कंपनी की चार शर्ते थी। एक तो वह अपने फैक्ट्री के पास ही किट सप्लाई करेगा और उसे भारत पहुंचाने की उसकी जिम्मेदारी नहीं होगी। दूसरी, किट की पूरी कीमत वह एडवांस में लेगा और किट से सही या खराब होने की वह कोई गारंटी नहीं लेगा। तीसरी, वह किट सप्लाई करने किसी टाइम लाइन से बंधा नहीं होगा और चौथी, वह पूरी रकम डॉलर में लेगा, जो करेंसी के बाजार मूल्य में उतार-चढ़ाव से मुक्त होगा।
विपक्षी दल की ओर से इसमें भ्रष्टाचार का आरोप लगाया गया है। जबकि सरकार की ओर से पूरी विवरण देते हुए जहां आरोप नकारा गया है वहीं किट को वापस करने का भी फैसला लिया गया है। चीनी कंपनी वोंडफो बायोटेक से रैपिड टेस्टिंग खरीदे जाने की प्रक्रिया का खुलासा करते हुए आइसीएमआर (ICMR) ने कहा कि इसे कोरोना के संकट के संदर्भ में देखा जाना चाहिए, जब सभी देश टेस्टिंग खरीदने की कोशिश कर रहे हैं। उसके अनुसार रैपिड टेस्टिंग खरीदने के पहले प्रयास में किसी सप्लायर ने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी। दूसरी बार टेंडर जारी करने के बाद वोंडफो और बायोमेडिक्स नाम की दो कंपनियों की ओर से इसकी आपूर्ति का दावा किया गया।
यही नहीं, इन कंपनियों ने रैपिड टेस्टिंग किट के लिए अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों की ओर से जारी जरूरी सर्टिफिकेट भी दिखाये। इसके बाद इन टेस्टिंग किट को खरीदने का फैसला किया। आइसीएमआर के अनुसार सप्लायर और कंपनी की कीमत में भारी अंतर को देखते हुए सीधे कंपनी से संपर्क कर किट खरीदने की कोशिश की गई। लेकिन कंपनी की कड़ी शर्तों के कारण यह संभव नहीं हो सका। कंपनी की चार शर्ते थी। एक तो वह अपने फैक्ट्री के पास ही किट सप्लाई करेगा और उसे भारत पहुंचाने की उसकी जिम्मेदारी नहीं होगी। दूसरी, किट की पूरी कीमत वह एडवांस में लेगा और किट से सही या खराब होने की वह कोई गारंटी नहीं लेगा। तीसरी, वह किट सप्लाई करने किसी टाइम लाइन से बंधा नहीं होगा और चौथी, वह पूरी रकम डॉलर में लेगा, जो करेंसी के बाजार मूल्य में उतार-चढ़ाव से मुक्त होगा।
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