भोपाल ! कोरोना वायरस से जनित बीमारी के संक्रमण से बचाव को देखते हुए सरकार
ने प्रदेश के सभी सरकारी कार्यालय और संस्थाओं के दफ्तर 31 मार्च तक बंद
करने का निर्णय लिया है।
इनके सभी अधिकारी-कर्मचारी घर पर रहकर काम
करेंगे। सोमवार से 31 मार्च तक घर पर रहकर काम करने को सेवा पर रहना
माना जाएगा। कलेक्टरों को यह अधिकार भी दिए गए हैं कि वे स्थानीय परिस्थितियों के
हिसाब से निर्णय ले सकते हैं। कोरोना वायरस को लेकर कैबिनेट ने रविवार को सभी
राज्यों के मुख्य सचिवों के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए कोरोनो वायरस की स्थिति
को लेकर जानकारी ली। इस दौरान मुख्य सचिव एम. गोपाल रेड्डी ने बताया कि प्रदेश में
जनता कर्फ्यू शत-प्रतिशत रहा है। पब्लिक ट्रांसपोर्ट पूरी तरह बंद है और पूर्ण
एहतियात बरती जा रही है। जो भी संदिग्ध मरीज मिल रहे हैं, उनकी जांच हो
रही है। बैठक में भोपाल में एक मरीज के प्रभावित होने की बात भी बताई गई। इस दौरान
31 मार्च तक जहां कोरोना वायरस से प्रभावित लोग पाए गए हैं, वहां
लोक परिवहन को बंद करने की पहल की गई है। पड़ोसी राज्यों से आने वाले लोगों पर नजर
रखी जा रही है।
बैठक के बाद अपर मुख्य सचिव सामान्य प्रशासन
विभाग ने 23 मार्च से 31 मार्च तक सरकारी
दफ्तर बंद रखने और घर से ही काम करने की व्यवस्था लागू करने के आदेश जारी किए। सभी
वरिष्ठ अधिकारियों, संभागायुक्त और कलेक्टर्स को दिए निर्देश में
कहा गया कि 31 मार्च तक अत्यावश्यक सेवाओं में लगे अमले को
छोड़कर सभी घर से काम करेंगे। इस अवधि को सेवा अवधि माना जाएगा। किसी
अधिकारी-कर्मचारी को जरूरत पड़ने पर कार्यालय बुलाया जा सकेगा। इसके लिए उसे अपना
मोबाइल व लैंडलाइन नंबर और निवास का पता कार्यालय प्रमुख को देना होगा। कलेक्टरों
से कहा गया है कि वे स्थानीय परिस्थिति को देखते हुए निर्णय लें। 31 मार्च
के बाद स्थितियों का आकलन करते हुए आगे के लिए निर्णय लिया जाएगा।
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