भोपाल के मिन्टो हॉल में आज दो दिवसीय राइट टू
हेल्थ कॉन्क्लेव शुरू हुआ। उद्घाटन-सत्र के बाद वेदान्ता विजन की सु जया राव ने
आध्यात्मिकता और स्वास्थ्य विषय पर व्याख्यान दिया। इस मौके पर अपर मुख्य सचिव
अध्यात्म विभाग मनोज वास्तव भी मौजूद थे।
सु जया राव ने अपने व्याख्यान में कहा कि
आध्यात्म हमारे शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को मजबूत करता है। उन्होंने कहा कि
शारीरिक पीड़ा रोकी नहीं जा सकती है, लेकिन आध्यात्म के जरिये कम किया जा
सकता है। उन्होंने यह भी कहा कि आध्यात्म को किसी धर्म-विशेष से जोड़कर देखा जाना
गलत है। आध्यात्म दर्शन से आगे की अवस्था है। सु राव ने कहा कि आध्यात्म के माध्यम
से हम अपने लक्ष्य की ओर सरलता से बढ़ सकते हैं। जीवन के तनाव को भी इसके माध्यम से
काफी कम किया जा सकता है। कॉन्क्लेव के एक अन्य सत्र में स्वास्थ्य के अधिकार का
विधायी और नीति के अंतर्गत क्रियान्वयन विषय पर चर्चा हुई। इसमें पूर्व सांसद संदीप दीक्षित, डायरेक्टर
जनरल ए.एच.पी.आई. डॉ. गिरधर ज्ञानी, एन.एल.आई.यू. के डॉ. व्ही. विजय कुमार,
यू.एन. एड्स की एडवाइजर सु हेलिना कुर्ग और पब्लिक हेल्थ एक्सपर्ट
डॉ. अभय शुक्ला ने अपने विचार रखे। सत्र के वक्ताओं की राय थी कि राइट टू हेल्थ के
लिये सरकारी मशीनरी के साथ-साथ निजी और स्वयंसेवी संस्थाओं की भी मदद ली जानी
चाहिये।
राइट टू हेल्थ राज्य सरकार की ठोस पहल
राइट टू हेल्थ कॉन्क्लेव में शामिल होने आये
डॉक्टर्स ने राइट टू हेल्थ के कदम को राज्य सरकार की ठोस पहल बताया है। उनका मानना
है कि इसके क्रियान्वयन के बाद मध्यप्रदेश की देश-भर में विशिष्ट पहचान बन जायेगी।
राज्य सरकार की स्वास्थ्य सेवा से सेवानिवृत्त
डॉ. जी.के. अग्रवाल ने बताया कि स्वास्थ्य सेवाओं के दायरे को बढ़ाने के लिये
मोबाइल हेल्थ क्लीनिक को बढ़ावा देना होगा। इससे गाँव तक स्वास्थ्य सेवा की पहुँच
बनेगी। उन्होंने टेली-मेडिसिन को और बढ़ावा दिये जाने की बात भी कही।
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