भोपाल। शिक्षा व्यवस्था को सुधारने प्रदेश
की कमलनाथ सरकार ने ई-अटेंडेंस को अनिवार्य करने का फैसला किया है, जबकी सत्ता में आने से पहले कांग्रेस ने अपने
वचन-पत्र में ई-अटेंडेंस बंद करने का वचन दिया था। लेकिन प्रदेश के सवा करोड़
बच्चों के भविष्य को ध्यान में रखते हुए मुख्यमंत्री कमलनाथ अपना चुनावी वादा
तोड़ने का फैसला किया है। सरकार के इस फैसले से शिक्षकों में हड़कंप मच गया है।
हाल ही में स्कूल शिक्षा विभाग की बैठक
में सरकारी स्कूलों में स्तरहीन पढाई को लेकर कमलनाथ ने नाराजगी जाहिर की थी। जांच
में पाया गया था कि 55 फीसदी शिक्षक स्कूल नहीं जाते हैं और कुछ स्कूल तो जाते हैं
परंतु आधे समय बाद लौट जाते हैं। इस पर मुख्यमंत्री ने कहा था कि हमने वचन पत्र
में शिक्षकों की ई-अटेंडेंस सिस्टम को लागू नहीं करने वादा किया था, लेकिन स्कूल शिक्षा के हालात को देखते हुए ऐसा
करना संभव नहीं है। अफसरों को निर्देश दिए हैं कि सभी सरकारी स्कूलों में
ई-अटेंडेंस सिस्टम को फिर से लागू किया जाए। आगामी शिक्षा सत्र से यह व्यवस्था
सख्ती से लागू की जा सकती है।
शिक्षकों में हड़कंप
सरकार के इस फैसले से शिक्षकों में
हड़कंप मच गया है। मोबाइल शिक्षक ऐप के माध्यम से ई-अटेंडेंस को लेकर शिक्षक इसलिए
भयभीत हैं कि इससे आने-जाने के समय की मॉनीटरिंग होने लगेगी। इस सॉफ्टवेयर से
शिक्षक की लोकेशन भी पता चलेगी कि वह स्कूल में है या कहीं ओर से अटेंडेंस दे रहा
है।
विरोध पर हुआ था बंद
तत्कालीन भाजपा सरकार ने 2018 में
ई-अटेंडेंस सिस्टम लागू किया था। इस पर शिक्षकों ने प्रदेश भर में आंदोलन कर विरोध
दर्ज कराया था। विधानसभा चुनाव को देखते हुए इसके अमल में ढील दी गई थी। शिक्षकों
के विरोध के चलते कांग्रेस ने वचन पत्र में ई-अटेंडेंस सिस्टम को बंद करने का वादा
किया था।
मोबाइल से लगेगी हाजिरी
स्कूल
शिक्षा विभाग में ई-अटेंडेंस एम-शिक्षा मित्र एप बना हुआ है। इसमें पंच इन और आउट
कर उपस्थिति दर्ज कराने की व्यवस्था है। मोबाइल फोन को जीपीएस लोकेशन ऑन रखना
होगा। अटेंडेंस के अलावा शिक्षक इस एप से आकस्मिक अवकाश, चिकित्सा अवकाश, विशेष व एच्छिक अवकाश के लिए भी आवेदन कर सकेंगे।
इसके अलावा शिक्षक एप के जरिए अवकाश की सूचना, स्कॉलरशिप की जानकारी, स्कूलों की गतिविधियों के साथ स्कूल को मिलने वाली
ग्रांट जीपीएफ व पे-स्लिप भी देख सकते हैं।
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