नई दिल्ली : जनभागीदारी से स्वच्छता अभियान को सही राह दे चुके प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने दूसरे कार्यकाल में जल संरक्षण के लिए भी हर किसी से सहयोग की अपील की है।
सत्ता में दोबारा लौटने के बाद पहले मन की बात में उन्होंने देशवासियों से तीन अपील की और तीनों जल संरक्षण से ही जुड़ा था। उन्होंने फिल्म और मीडिया से लेकर खेल और धार्मिक संगठनों तक से इसे जन जागरण का रूप देने का आग्रह किया।
साथ ही जल संरक्षण के पारंपरिक तौर तरीके और इस काम में जुटे लोगों, गैर सरकारी संगठनों आदि के बारे में जानकारी साझा करने की अपील की ताकि एक डेटाबेस तैयार किया जा सके।
चुनाव के कारण रुका प्रधानमंत्री का मासिक मन की बात कार्यक्रम रविवार से शुरू हो गया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसके जरिए ही यह कहकर लोगों का धन्यवाद किया कि आपने ही मुझे लाया है, आपने ही मुझे बिठाया है। आपने ही मुझे एक बार फिर से बोलने का मौका दिया है।
भारतीय चुनाव की व्यापकता का अहसास कराते हुए यह भी याद दिलाया कि लोकतंत्र को गंभीरता से लेना चाहिए। इसके जरिए जो अधिकार मिले हैं वह सामान्य नहीं है।
इसी क्रम में उन्होंने आपातकाल की भी याद दिलाई और परोक्ष रूप से यह संदेश देने की भी कोशिश की कि भारत जैसे देश में बार बार चुनाव आसान नहीं है। ध्यान रहे कि वह एक साथ एक चुनाव की वकालत करते रहे हैं लेकिन विपक्ष के कई दल इसके विरोध में हैं।
बहरहाल, पहले मन की बात में जोर जल संरक्षण पर रहा जो सरकार की प्राथमिकता में भी सबसे उपर है। अपने संबोधन में जल की महत्ता बताते हुए उन्होंने कहा कि हमारे देश में वर्षा जल का सिर्फ 8 फीसद ही संरक्षित किया जाता है।
प्रधानमंत्री ने बताया कि वर्षा जल संरक्षण के लिए उन्होंने देश के सरपंचों और प्रधानों को पत्र लिखा था। 22 जून को हजारों पंचायतों में लाखों लोगों ने श्रमदान किया। अब जरूरत है इसे देशव्यापी बनाने की। उन्होंने अनुरोध किया कि पूरा देश इकट्ठा होकर इसे आगे बढ़ाए।
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