तेल की आसमान छूती कीमतों से आम आदमी की परेशानी कम होने का नाम नहीं ले रहीं. तेल की लगातार बढ़ती कीमतों के बढ़ना सिर्फ आम आदमी के लिए ही नहीं बल्कि पेट्रोलियम इंडस्ट्री के लिए भी बड़ी चुनौती साबित हो रही है.
तेल की इन कीमतों से पेट्रोलियम इंडस्ट्री पिछली सदी के अंत में बहुचर्चित Y2K बग जैसी तकनीकी चुनौती को सामने खड़ा देख रही है.
पेट्रोल के दाम के शतक लगाने से पहले ही इंडस्ट्री को इस चुनौती से निपटना होगा. इसमें असफल होने का मतलब है कि पेट्रोल पंपों के डिस्पेंसिंग यूनिट (डीयू मीटर, जो दाम और तेल की मात्रा दिखाते हैं) काम करना बंद कर देंगे.
मतलब ये कि अगर पेट्रोल की कीमत 100 रुपए प्रति लीटर को पार करती है तो पेट्रोल पंप बंद हो जाएंगे.
टाइम्स ऑफ इंडिया के मुताबिक अभी पेट्रोल पंपों पर जो डिस्पेंसिंग यूनिट लगे हैं, वे रुपए में 2 अंक और पैसे भी 2 अंकों के लिहाज से सेट किए गए हैं.
इस तरह मौजूदा डिस्पेंसिंग यूनिट जो अधिकतम कीमत दिखा सकते हैं, वह 99.99 रुपए है. ऐसे में अगर पेट्रोल की कीमत 100 रुपए हो जाती है डिस्पेंसिंग यूनिट में 0.00 रुपए दिखेगा.
ऑल इंडिया पेट्रोलियम डीलर्स एसोसिएशन के चेयरमैन एम. प्रभाकर रेड्डी ने कहा कि पेट्रोलियम कंपनियां एकदम आखिरी वक्त में जाग रही हैं.
डिस्पेंसिंग यूनिट्स को जब डिजिटल बनाया गया था ये बात दूर दूर तक किसी ने सोचा भी नहीं था कि पेट्रोल के दाम एक दिन 100 रुपए प्रति लीटर तक हो जाएगा.
इसका सारा खामियाजा डीलर्स और उपभोक्ताओं को भुगतना पड़ेगा, क्योंकि सिस्टम को अपग्रेड करने में वक्त लगेगा.
पेट्रोल के दाम जिस तेजी से बढ़ रहे हैं उसे देखते हुए इसके जल्द ही 3 अंकों को छूने की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता. देश के कुछ शहरों में पेट्रोल 91 रुपए प्रति लीटर तक पहुंच चुका है.
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