नई दिल्ली : भारत और फ्रांस के बीच शनिवार को एजुकेशन, क्लीन एनर्जी (सोलर) और रक्षा में सहयोग बढ़ाने जैसे 14 समझौते हुए।
दोनों देशों के बीच एक करार ऐसा भी हुआ जो चीन को ध्यान में रखकर किया गया है मैरीटाइम अवेयरनेस के तहत भारत और फ्रांस अब एक दूसरे के नेवल बेस (नौसैनिक अड्डों) को वाॅरशिप्स रखने और नेविगेशन (आने-जाने) के लिए इस्तेमाल कर सकेंगे।
बता दें कि चीन अपनी ‘वन बेल्ट वन रोड’ पॉलिसी के तहत हिंद महासागर में अपनी गतिविधियां बढ़ा रहा है। इससे भारत समेत दुनिया के ज्यादातर देशों में चीन के बढ़ते दबदबे को लेकर चिंता है।
चीन अपनी वन बेल्ट वन रोड पॉलिसी के तहत एशिया और अफ्रीका के कई देशों में अपने मिलिट्री की मौजूदगी बढ़ा रहा है। इससे फ्रांस समेत कई यूरोपीय देशों की चिंता बढ़ी है। हाल ही में चीन ने अफ्रीकी देश जिबूती में भी अपना नेवल बेस बनाया है।
दोनों देशों के बीच एक करार ऐसा भी हुआ जो चीन को ध्यान में रखकर किया गया है मैरीटाइम अवेयरनेस के तहत भारत और फ्रांस अब एक दूसरे के नेवल बेस (नौसैनिक अड्डों) को वाॅरशिप्स रखने और नेविगेशन (आने-जाने) के लिए इस्तेमाल कर सकेंगे।
बता दें कि चीन अपनी ‘वन बेल्ट वन रोड’ पॉलिसी के तहत हिंद महासागर में अपनी गतिविधियां बढ़ा रहा है। इससे भारत समेत दुनिया के ज्यादातर देशों में चीन के बढ़ते दबदबे को लेकर चिंता है।
चीन अपनी वन बेल्ट वन रोड पॉलिसी के तहत एशिया और अफ्रीका के कई देशों में अपने मिलिट्री की मौजूदगी बढ़ा रहा है। इससे फ्रांस समेत कई यूरोपीय देशों की चिंता बढ़ी है। हाल ही में चीन ने अफ्रीकी देश जिबूती में भी अपना नेवल बेस बनाया है।
हिंद महासागर में स्थित रीयूनियन आइलैंड फ्रांस के लिए अहम क्षेत्र है। साथ ही पैसिफिक ओशियन में चीन की बढ़ती गतिविधियां फ्रांस की परेशानी की बड़ी वजह हैं।
फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने शुक्रवार को एक इंटरव्यू में कहा था कि फ्रांस के पास ताकतवर समुद्री सेना और न्यूक्लियर सबमरीन्स हैं। फ्रांस इस क्षेत्र की सुरक्षा को लेकर बेहद सक्रिय है और यहां स्थिरता को लेकर भारत हमारा अहम सुरक्षा साझेदार है।
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