नई दिल्ली : अमेरिका के साथ बेहद प्रगाढ़ होते रिश्तों के बावजूद भारत ने आज यह स्पष्ट कर दिया कि ईरान के साथ उसके संबंधों को लेकर वह किसी भी दवाब में नहीं आएगा।
नई दिल्ली आये ईरान के राष्ट्रपति हसन रोहानी और पीएम नरेंद्र मोदी के बीच तकरीबन डेढ़ घंटे चली बातचीत ने इन दोनों देशों के बीच की ऐतिहासिक रिश्तों की डोर को और मजबूत कर दिया है।
दोनों नेताओ के बीच हुई बातचीत और बाद में दोनों देशों की तरफ से जारी संयुक्त विज्ञप्ति अगर पड़ोसी देश पाकिस्तान को चेतावनी है तो चीन को भी एक संकेत है।
यह संकेत है कि भारत अब कनेक्टिविटी को अपनी कूटनीति का न सिर्फ एक अहम हिस्सा बना चुका है बल्कि वह अपनी परियोजनाओं को अब तेजी से लागू करने की क्षमता भी रखता है। दोनो देशों के बीच विभिन्न क्षेत्रों पर नौ समझौते हुए।
भारत और ईरान के शीर्ष नेताओं के बीच हुई इस मुलाकात में जो मुद्दे उठे हैं उससे इनके पड़ोसी देश पाकिस्तान को जरुर धक्का लगेगा। क्योंकि भारत व ईरान की तरफ से जारी संयुक्त बयान में आतंक के मुद्दे पर पाकिस्तान पर खूब निशाना साधा गया है।
वैसे पाकिस्तान का नाम सीधे तौर पर नहीं लिया गया है लेकिन दोनो देशों ने आतंक की मदद देने वाले देशों को कड़ी निंदा करने और आतंक को मिलने वाले हर तरह की मदद को समाप्त करने के लिए दबाव बनाने की बात कही है।
यही नहीं जिस तरह से मोदी और रोहानी के बीच बातचीत में चाबहार केंद्र में रहा है उससे भी पाकिस्तान की बेचैनी बढ़ेगी। पाकिस्तान यह प्रलाप करता है कि भारत चाबहार के जरिए उसके क्षेत्र में अस्थिरता फैलाता है। शनिवार को रोहानी और मोदी के सामने यह समझौता हुआ है कि जल्द ही भारतीय कंपनी इंडियन पोर्ट्स ग्लोबल लिमिटेड को चाबहार पोर्ट का प्रबंधन सौंप दिया जाएगा। भारत और ईरान के बीच हुए नौ समझौतों में से यह भी एक है।
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