नई दिल्ली : पड़ोसी देश नेपाल में चीन का दबदबा बढ़ता जा रहा है जिससे भारत की चिंताएं बढ़ती जा रही हैं।
नेपाल के लोग अभी तक इंटरनेट के इस्तेमाल के लिए भारत पर निर्भर थे लेकिन शुक्रवार को नेपाल ने भारत पर अपनी यह निर्भरता खत्म करते हुए हिमालय पर्वत पर बिछी चीन की ऑप्टिकल फाइवर लिंक से ब्राडबैंड इंटरनेट का इस्तेमाल करना शुरू कर दिया।
अधिकारियों ने बताया कि चीन रसुवागढ़ी सीमा के माध्यम से नेपाल को इंटरनेट मुहैया करा रहा है। काठमांडू में आयोजित एक कार्यक्रम में नेपाल के सूचना एवं संचार मंत्री बहादुर बासनेत ने नेपाल और चीन की सीमा पर बिछे इस ऑप्टिकल फाइबर लिंक का उद्घाटन किया।
इसके साथ ही नेपाल के पर्वतीय इलाकों में रह रहे लोगों के बीच चीन के ब्राडबैंड इंटरनेट का वाणिज्यिक परिचालन शुरू हो गया।हा
लांकि चीन के इस ऑप्टकिल फाइबर लिंक से नेपाल के निवासियों को 1.5 gbps की ही प्रारंभिक स्पीड मिल रही है, जो कि भारत के स्पीड से कम है।
अगर भारत की बात की जाए तो, भारत नेपाल के बीरतनगर, भैरहवां औऱ बीरंगज इलाकों में 34 gbps की स्पीड से इंटरनेट मुहैया कराता है।
नेपाल के लोग अभी तक इंटरनेट के इस्तेमाल के लिए भारत पर निर्भर थे लेकिन शुक्रवार को नेपाल ने भारत पर अपनी यह निर्भरता खत्म करते हुए हिमालय पर्वत पर बिछी चीन की ऑप्टिकल फाइवर लिंक से ब्राडबैंड इंटरनेट का इस्तेमाल करना शुरू कर दिया।
अधिकारियों ने बताया कि चीन रसुवागढ़ी सीमा के माध्यम से नेपाल को इंटरनेट मुहैया करा रहा है। काठमांडू में आयोजित एक कार्यक्रम में नेपाल के सूचना एवं संचार मंत्री बहादुर बासनेत ने नेपाल और चीन की सीमा पर बिछे इस ऑप्टिकल फाइबर लिंक का उद्घाटन किया।
इसके साथ ही नेपाल के पर्वतीय इलाकों में रह रहे लोगों के बीच चीन के ब्राडबैंड इंटरनेट का वाणिज्यिक परिचालन शुरू हो गया।हा
लांकि चीन के इस ऑप्टकिल फाइबर लिंक से नेपाल के निवासियों को 1.5 gbps की ही प्रारंभिक स्पीड मिल रही है, जो कि भारत के स्पीड से कम है।
अगर भारत की बात की जाए तो, भारत नेपाल के बीरतनगर, भैरहवां औऱ बीरंगज इलाकों में 34 gbps की स्पीड से इंटरनेट मुहैया कराता है।
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