करवाचौथ पर शहरों के विभिन्न बाजारों में दिन भर पूरी चहल पहल व रौनक लगी रही। रविवार को सुबह चार बजे सुहागिनों ने पूजा-अर्चना कर सुहाग की लंबी आयु की कामना करते हुए करवाचौथ का व्रत रखा।
वहीं युवतियों ने भी इस दिन अच्छे पति की कामना हेतु व्रत रखा। दिन भर निर्जल रहते हुए रात पौने नौ बजे बजे चांद का दीदार और पति का छन्नी से मुख देख कर करवा चौथ का व्रत खोला।
युवतियों ने तारे का दीदार करके व अर्ध्य देकर अपना व्रत संपन्न किया। महिलाओं ने शाम के समय मंदिरों में पहुंच कर व्रत की कथा सुनी और पति की सलामती व लंबी आयु की प्रार्थना की। पत्नियों को उपहार में रूप में गिफ्ट भी मिले।
वहीं युवतियों ने भी इस दिन अच्छे पति की कामना हेतु व्रत रखा। दिन भर निर्जल रहते हुए रात पौने नौ बजे बजे चांद का दीदार और पति का छन्नी से मुख देख कर करवा चौथ का व्रत खोला।
युवतियों ने तारे का दीदार करके व अर्ध्य देकर अपना व्रत संपन्न किया। महिलाओं ने शाम के समय मंदिरों में पहुंच कर व्रत की कथा सुनी और पति की सलामती व लंबी आयु की प्रार्थना की। पत्नियों को उपहार में रूप में गिफ्ट भी मिले।
करवाचौथ के मौके पर बाजारों में दुकानों पर काफी भीड़ रही। रविवार को भी जगह-जगह व बाजारों में मेंहदी लगवाने के लिए महिलाओं की भीड़ देखी गई। शहर के सभी मंदिरों में भी पूजा को लेकर महिलाओं की भारी भीड़ उमड़ी।
शाम के समय के मंदिरों में जाकर महिलाओं ने करवाचौथ की कथा सुनी और पूरे रीति-रिवाजों के अनुसार थाली के अदान प्रदान की रस्म अदा करते हुए अपनी सास को सरगी देकर आशीर्वाद प्राप्त किया।
रविवार को रात करीब पौने नौ बजे जैसे ही चांद आसमान पर आया सुहागिनों ने चांद को अर्ध्य देते हुए छन्नी से चांद व अपने पति का दीदार किया। इसके बाद पति के हाथों से पानी पीकर अपना व्रत संपन्न किया।
करवाचौथ का व्रत कार्तिक मास में होता है। यह व्रत विवाहित महिलाएं पति की दीर्घायु एवं अखंड सौभाग्य की प्राप्ति के लिए इस दिन भालचंद्र गणेश जी की अर्चना की जाती है। दिन पर उपवास रखकर रात में चंद्रमा को अर्घ्य देने के उपरांत ही भोजन करते है। उन्होंने बताया कि यह व्रत 12 वर्ष तक अथवा 16 वर्ष तक लगातार हर वर्ष किया जाता है। अवधि पूरी होने के पश्चात इस व्रत का उद्यापन किया जाता है।
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