नई दिल्ली : भारत और जापान की बढ़ती दोस्ती पर चीन ने एकबार फिर ऐतराज जताया है. शुक्रवार को चीन के विदेश मंत्रालय ने चेतावनी के लहजे में कहा कि जापान को भारत के नॉर्थ-ईस्ट राज्यों में किसी तरह के निवेश से बचना चाहिए.
चीन ने कहा कि भारत के साथ सीमा विवाद में किसी तीसरे पक्ष की जरूरत नहीं है. चीन ने गुरुवार को भी आबे और मोदी के बीच हुए समझौतों पर टिप्पणी की थी.
गौरतलब है कि दो दिवसीय भारत दौरे पर आए जापान के प्रधानमंत्री ने बुलेट ट्रेन के साथ कई और क्षेत्रों में भी सहयोग के करार किए हैं जिससे चीन की चिंताएं बढ़ गई हैं.
शुक्रवार को चीन के विदेश मंत्रालय ने तीखी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि ऐसा लगता है दोनों देश साझेदारी नहीं गुटबाजी कर रहे हैं.
भारत और जापान गुटबाजी के बजाए आपसी साझेदारी करें तो बेहतर होगा. इससे पहले चीन ने भारत में बुलेट ट्रेन की पहल की तारीफ की थी.
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता गेंग शुआंग ने कहा था कि चीन क्षेत्रीय देशों के बीच रेलवे सहित अन्य बुनियादी ढांचों के निर्माण में उच्चस्तरीय सहयोग से खुश है.
आपको बता दें कि जापान के पीएम शिंजो आबे के दौरे के दौरान भारत के साथ नॉर्थ ईस्ट इंडिया में भी इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट के निर्माणों पर समझौते हुए हैं.
शिंजो आबे और पीएम मोदी ने मिलकर गुरुवार को इंडिया जापान एक्ट ईस्ट फोरम का गठन करने की घोषणा की है. यह फोरम नॉर्थ ईस्ट इंडिया में इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट के निर्माण पर काम करेगी.
इन इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट में रोड निर्माण, इलेक्ट्रसिटी और वॉटर सप्लाई जैसे प्रोजेक्ट शामिल हैं.
विश्व जीडीपी में 5.91 प्रतिशत की हिस्सेदारी रखने वाला जापान 2.83 प्रतिशत हिस्सेदारी वाले भारत से नजदीकी बढ़ा रहा है जिससे कई देशों की त्यौरियां चढ़ना तय है.
ऐसे समय में जब पाकिस्तान आतंकवाद के मुद्दे पर गैर-जिम्मेदाराना रवैया अख्तियार किए हो, चीनी सैनिक डोकलाम पर सड़क बनाने पर आमादा हो, नॉर्थ कोरिया के परमाणु परीक्षण ने दुनिया की नाक में दम कर दिया हो; ऐसे में जापानी पीएम की भारत यात्रा के कई मायने निकलते हैं. शिंजो आबे भारत के लिए बुलेट ट्रेन जैसी सौगात के साथ कई अहम समझौते किए.
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