जीएसटी के पहले महीने में 95 हजार करोड़ रुपए का टैक्स कलेक्शन जरूर हुआ है,लेकिन इसमें से 65 हजार रुपए कंपनियों ने ट्रांजिशन क्रेडिट के तौर पर क्लेम किए हैं.
इतनी बड़ी रकम क्लेम किए जाने से इनकम टैक्स डिपार्टमेंट के कान खड़े हो गए हैं. विभाग अब उन क्रेडिट दावों की जांच करेगा, जो 1 करोड़ रुपए से ज्यादा के हैं.
दरअसल 95 हजार करोड़ रुपए की इस रकम में कंपनियों ने 65 हजार करोड़ रुपए ट्रांजिशनल क्रेडिट के तौर पर क्लेम किए हैं.
जीएसटी के तहत कंपनियों को यह सुविधा दी गई है कि वह उन स्टॉक पर ट्रांजिशनल क्रेडिट क्लेम करें, जो उन्होंने पिछली टैक्स नीति के तहत खरीदा था. कंपनियों व बिजनेस को यह क्लेम जीएसटी लागू होने के 6 महीने के भीतर करना है.
सेंट्रल बोर्ड ऑफ एक्साइज एंड कस्टम्स (सीबीईसी) अप्रत्यक्ष कर के मामलों को देखती है. सीबीईसी ने 11 सितंबर को टैक्स अधिकारियों को एक पत्र लिखा है, जिसमें उन्होंने जीएसटी ट्रांजिशनल क्रेडिट के उन दावों की जांच करने की सिफारिश की है, जो 1 करोड़ रुपए से ज्यादा के हैं. पत्र के मुताबिक 162 बिजनेसेस ने 1 करोड़ रुपए से ज्यादा के ट्रांजिशनल क्रेडिट क्लेम किया है.
अलग-अलग बिजनेसस और कंपनियों ने टैक्स भरने के दौरान ट्रांजिशनल क्रेडिट फॉर्म TRAN-1 भरा है. इसमें उन्होंने 65 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा एक्साइज, सर्विस टैक्स और वैट के तौर पर क्लेम किया है, जो उन्होंने जीएसटी लागू होने से पहले भरा था. इनकम टैक्स डिपार्टमेंट अब यह देखेगा कि कहीं इन दावों में कोई गड़बड़ी तो नहीं है. विभाग टैक्स चोरी के एंगल से भी इन दावों की जांच करेगा.
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