अमेरिकी प्रतिनिधि सभा ने 621.5 अरब डॉलर की रक्षा नीति पारित की है जिसमें भारत के साथ रक्षा सहयोग बढ़ाए जाने का प्रस्ताव रखा गया है।
अमेरिका में भारत के राजदूत नवतेज सरना ने बताया कि पीएम मोदी के अमेरिका दौरे के बाद दोनों देश ने मिलकर ये फैसला लिया।
जिसके बाद यूस कांग्रेस के प्रतिनिधि सभा में पेश किये गए इस बिल को पारित कर दिया गया।भारतीय अमेरिकी सांसद अमी बेरा द्वारा इस संबंध में पेश किए गए संशोधन को सदन ने राष्ट्रीय रक्षा प्राधिकरण कानून (एनडीएए) 2018 के भाग के रूप में ध्वनिमत से पारित कर दिया।
यह कानून इस साल एक अक्तूबर से लागू होगा। एनडीएए-2018 को सदन ने 81 के मुकाबले 344 मतों से पारित किया था।
बेरा ने कहा, अमेरिका दुनिया की सबसे पुरानी और भारत सबसे बड़ी लोकतांत्रिक व्यवस्था है। यह बहुत महत्वपूर्ण है कि दोनों देशों के बीच रक्षा सहयोग बढ़ाने के लिए रणनीति विकसित की जाए।
बेरा ने कहा, अमेरिका एवं भारत के बीच सहयोग से हमारी अपनी सुरक्षा एवं 21वीं सदी में सुरक्षा चुनौतियों का सामना करने की हमारी क्षमता भी बढ़ेगी।
अमेरिका में भारत के राजदूत नवतेज सरना ने बताया कि पीएम मोदी के अमेरिका दौरे के बाद दोनों देश ने मिलकर ये फैसला लिया।
जिसके बाद यूस कांग्रेस के प्रतिनिधि सभा में पेश किये गए इस बिल को पारित कर दिया गया।भारतीय अमेरिकी सांसद अमी बेरा द्वारा इस संबंध में पेश किए गए संशोधन को सदन ने राष्ट्रीय रक्षा प्राधिकरण कानून (एनडीएए) 2018 के भाग के रूप में ध्वनिमत से पारित कर दिया।
यह कानून इस साल एक अक्तूबर से लागू होगा। एनडीएए-2018 को सदन ने 81 के मुकाबले 344 मतों से पारित किया था।
सदन द्वारा पारित भारत संबंधी संशोधन में कहा गया है कि विदेश मंत्री के साथ सलाह मशविरा करके रक्षा मंत्री अमेरिका एवं भारत के बीच रक्षा सहयोग बढ़ाने की रणनीति बनाएंगे।
बेरा ने कहा, अमेरिका दुनिया की सबसे पुरानी और भारत सबसे बड़ी लोकतांत्रिक व्यवस्था है। यह बहुत महत्वपूर्ण है कि दोनों देशों के बीच रक्षा सहयोग बढ़ाने के लिए रणनीति विकसित की जाए।
उन्होंने कहा, मैं आभारी हूं कि इस संशोधन को पारित किया गया। मैं साझा सुरक्षा चुनौतियों, सहयोगियों की भूमिका और विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में सहयोग जैसे अहम मामलों संबंधी रक्षा मंत्रालय की रणनीति का इंतजार कर रहा हूं।
बेरा ने कहा, अमेरिका एवं भारत के बीच सहयोग से हमारी अपनी सुरक्षा एवं 21वीं सदी में सुरक्षा चुनौतियों का सामना करने की हमारी क्षमता भी बढ़ेगी।
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