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सेना के पास लड़ने के लिए 10 दिन का भी गोला बारूद नहीं : कैग रिपोर्ट

नर्इ दिल्ली : चीन आैर पाकिस्तान से तनाव के बीच नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) की एक रिपोर्ट ने चौंका दिया है। 

कैग की रिपोर्ट के अनुसार भारतीय सेना के पास दुश्मनों का मुकाबला करने के लिए दस दिनों का भी गोला-बारूद नहीं है। 

रिपोर्ट के मुताबिक युद्घ के लिए पूरी तरह से सक्षम होने में सेना को अभी भी दो साल का वक्त लगेगा।इसके साथ ही कैग ने चार पनडुब्बीरोधी वाहक युद्घपोतों के निर्माण में विलंब को लेकर आड़े हाथ लिया है।

कैग ने शुक्रवार को संसद में रखी रिपोर्ट में साफ तौर पर कहा है कि मार्च 2013 से सेना में हथियारों की गुणवत्ता आैर उपलब्धता को बढ़ाने के लिए कोर्इ ठोस बदलाव नहीं आया है।

 2013 से ही आॅर्डिनेंस फैक्टी बोर्ड ने सप्लार्इ किए जाने वाले गोला बारूद की गुणवत्ता आैर कमी पर ध्यान दिलाया लेकिन इस आेर कोर्इ भी ध्यान नहीं दिया गया।

 साथ ही कैग ने बताया है कि सेना मुख्यालय ने 2008 से 2013 के बीच खरीदारी के मामलों में से ज्यादातर जनवरी 2017 तक पूरे नहीं हो सके हैं। 

उत्पादन लक्ष्य में कमी लगातार कायम रही आैर काम न आने वाले गोला-बारूद को हटाने को लेकर भी इसी तरह की बेरुखी दिखार्इ गर्इ। इस रिपोर्ट में कैग ने कहा है कि गोला-बारूद डिपो में अग्निशमनकर्मियों की कमी है। साथ ही उपकरणों से हादसे के खतरे का भी जिक्र किया है।

कैग ने सितंबर 2016 में पाया कि 40 दिन के मानक पर सिर्फ 20 फीसदी गोला बारूद ही खरा उतरा। वहीं 55 फीसदी गोला बारूद एेसा था जो कि 20 दिन के न्यूनतम स्तर से भी कम थे। हालांकि इसमें बेहतरी आर्इ है।

 रिपोर्ट के अनुसार 2013 में मंजूर रोडमैप के मुताबिक 20 दिन के मंजूर लेवल के 50 फीसदी तक ले जाया जाए आैर 2019 तक इसकी पूरी तरह से भरपार्इ की जाए। 10 दिन से कम अवधि के लिए गोला बारूद की उपलब्धता को बेहद चिंताजनक समझा गया।

 2013 में जहां पर 10 दिनों की अवधि के लिए 170 के मुकाबले 85 गोला बारूद ही (50 फीसदी) उपलब्ध थे, वहीं अब भी यह 152 के मुकाबले 61 (40 फीसदी )ही उपलब्ध हैं।

कैग ने बताया है कि नौसेना को सुपुर्द चार युद्घक पोतों में जरूरी अस्त्र आैर सेंसर प्रणाली नहीं लगार्इ गर्इ है। इसके चलते वे अपनी पूरी क्षमता से प्रदर्शन नहीं कर पा रहे हैं। 

वहीं नौसेना डिजाइन निदेशालय की भी वाहक पोत की डिजाइन को अंतिम रूप देने में विलंब के लिए आलोचना की है।  

हालांकि सेना की रक्षा जरूरतों के लिहाज से 2019 की पहले तीन महीनों में रूस आैर इजरायल से राॅकेट, एंटी टैंक गाइडेड मिसाइलें आैर अन्य महत्वपूर्ण हथियार मिलेंगे। 

वहीं 2019 से 2022 के बीच फ्रांस से 36 राफेल लड़ाकू विमान आैर भी मिलेंगे। वहीं 22 अपाचे आैर 15 चिनूक हेलिकाॅप्टर भी जुलार्इ 2019 में अमरीका से मिलेंगे।
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