बिहार यहां की महागठबंधन की सरकार में राष्ट्रीय जनता दल (राजद) अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव के दोनों बेटे सरकार में मंत्री हैं। इन दोनों ने अपने पिता की दिक्कतों की समस्या मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के समक्ष रखने का नया तरीका अपनाया है।
अमूमन है कई सरकारी कार्यक्रमों में ये सभी साथ नहीं जाते। गुरुवार (22 मार्च ) को बिहार दिवस पर कार्यक्रम के दौरान नीतीश कुमार ने पूरे राज्य में कॉलेजों के लिए फ्री वाई-फाई की घोषणा की तो वहां तेज प्रताप और तेजस्वी यादव नहीं मौजूद थे।
गौरतलब है कि तेजस्वी यादव, उप-मुख्यमंत्री हैं। कार्यक्रम में उनकी गैरमौजूदगी पर कई सवाल उठे। बता दें कि तीसरी बार नवंबर 2015 में नीतीश कुमार की सरकार राजद और महागठबंधन के अन्य दलों के सहारे बनी थी। इसके चलते लालू के दोनों बेटों को मंत्री बना दिया गया।
बिहार सरकार में शिक्षा मंत्री और कांग्रेस नेता अशोक चौधऱी ने कहा कि इस बात की उम्मीद की जा रही थी कि तेजस्वी यादव भाषण देंगे लेकिन आखिरी मिनट में ना प्लान कैंसिल हो गया।
लालू की पार्टी से जुड़े सूत्रों का कहना है कि दोनों बेटे उनसे संकेत ले रहे हैं। नीतीश से उनके गठबंधन में आए दिन कोई ना कोई असहमति होती रहती है, जिनमें से कुछ सार्वजनिक जाहिर कर दिए जाते हैं।
उदाहरण के लिए लालू यादव, नीतीश की ओर से नोटबंदी के फैसले को सही बताए जाने पर खफा थे। हाल ही में लालू ने कहा कि अब उनके रिटायरमेंट के दिन आ रहे हैं और युवा नेताओं को उनकी जगह आना चाहिए। हालांकि नीतीश ने अपने राजनीतिक करियर के बारे में कोई टिप्पणी नहीं की है।
अमूमन है कई सरकारी कार्यक्रमों में ये सभी साथ नहीं जाते। गुरुवार (22 मार्च ) को बिहार दिवस पर कार्यक्रम के दौरान नीतीश कुमार ने पूरे राज्य में कॉलेजों के लिए फ्री वाई-फाई की घोषणा की तो वहां तेज प्रताप और तेजस्वी यादव नहीं मौजूद थे।
गौरतलब है कि तेजस्वी यादव, उप-मुख्यमंत्री हैं। कार्यक्रम में उनकी गैरमौजूदगी पर कई सवाल उठे। बता दें कि तीसरी बार नवंबर 2015 में नीतीश कुमार की सरकार राजद और महागठबंधन के अन्य दलों के सहारे बनी थी। इसके चलते लालू के दोनों बेटों को मंत्री बना दिया गया।
बिहार सरकार में शिक्षा मंत्री और कांग्रेस नेता अशोक चौधऱी ने कहा कि इस बात की उम्मीद की जा रही थी कि तेजस्वी यादव भाषण देंगे लेकिन आखिरी मिनट में ना प्लान कैंसिल हो गया।
लालू की पार्टी से जुड़े सूत्रों का कहना है कि दोनों बेटे उनसे संकेत ले रहे हैं। नीतीश से उनके गठबंधन में आए दिन कोई ना कोई असहमति होती रहती है, जिनमें से कुछ सार्वजनिक जाहिर कर दिए जाते हैं।
उदाहरण के लिए लालू यादव, नीतीश की ओर से नोटबंदी के फैसले को सही बताए जाने पर खफा थे। हाल ही में लालू ने कहा कि अब उनके रिटायरमेंट के दिन आ रहे हैं और युवा नेताओं को उनकी जगह आना चाहिए। हालांकि नीतीश ने अपने राजनीतिक करियर के बारे में कोई टिप्पणी नहीं की है।
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