नई दिल्ली : नोटबंदी के फैसले के बाद अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पूर्ववर्ती कांग्रेस नीत सरकार पर 'बेनामी सम्पत्ति' से जुडे कानून को कई दशकों तक ठंडे बस्ते में डालने का आरोप लगाते हुए कहा कि वर्तमान सरकार ने बेनामी सम्पत्ति कानून को धारदार बनाया है और आने वाले दिनों में यह कानून अपना काम करेगा।
मोदी ने आकाशवाणी पर प्रसारित इस वर्ष की आखिरी ‘मन की बात’ कार्यक्रम में आज बेनामी संपत्ति मालिकों को चेतावनी दी।
उन्होंने कहा कि देश में 1988 से बेनामी संपत्ति कानून है लेकिन उससे संबंधित आज तक न नियमावली बनी, न ही इसे अधिसूचित किया गया लेकिन उनकी सरकार अब एक ‘धारदार’ बेनामी सम्पत्ति कानून ला रही है।
प्रधानमंत्री ने कहा, ‘मैंने पहले ही दिन कहा था, 8 तारीख को (नोटबंदी की घोषणा के दिन) कहा था, ये लडाई असामान्य है. 70 साल से बेईमानी और भ्रष्टाचार के काले कारोबार में कैसी शक्तियां जुडी हुई है? उनकी ताकत कितनी है?
ऐसे लोगों से मैंने जब मुकाबला करना ठान लिया है तो वे भी तो सरकार को पराजित करने के लिए रोज नये तरीके अपनाते हैं।
मोदी ने आकाशवाणी पर प्रसारित इस वर्ष की आखिरी ‘मन की बात’ कार्यक्रम में आज बेनामी संपत्ति मालिकों को चेतावनी दी।
उन्होंने कहा कि देश में 1988 से बेनामी संपत्ति कानून है लेकिन उससे संबंधित आज तक न नियमावली बनी, न ही इसे अधिसूचित किया गया लेकिन उनकी सरकार अब एक ‘धारदार’ बेनामी सम्पत्ति कानून ला रही है।
प्रधानमंत्री ने कहा, ‘मैंने पहले ही दिन कहा था, 8 तारीख को (नोटबंदी की घोषणा के दिन) कहा था, ये लडाई असामान्य है. 70 साल से बेईमानी और भ्रष्टाचार के काले कारोबार में कैसी शक्तियां जुडी हुई है? उनकी ताकत कितनी है?
ऐसे लोगों से मैंने जब मुकाबला करना ठान लिया है तो वे भी तो सरकार को पराजित करने के लिए रोज नये तरीके अपनाते हैं।
प्रधानमंत्री ने कहा कि आपको मालूम होगा हमारे देश में बेनामी संपत्ति का एक कानून है। उन्नीस सौ अठास्सी में बना था, लेकिन कभी भी न उसके नियम बनें, उसको अधिसूचित नहीं किया। ऐसे ही वो ठंडे बस्ते में पडा रहा।
हमने उसको निकाला है और बडा धारदार बेनामी संपत्ति का कानून हमने बनाया है। आने वाले दिनों में वो कानून भी अपना काम करेगा। देशहित के लिये, जनहित के लिये, जो भी करना पडे, ये हमारी प्राथमिकता है।
बेनामी का अर्थ ऐसी संपत्ति है जो असली खरीददार के नाम पर नहीं है। टैक्स से बचने और संपत्ति का ब्यौरा न देने के उद्देश्य से लोग अपने नाम से प्रॉपर्टी नहीं खरीदते।
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