नई दिल्ली. पाकिस्तान की नकेल कसने के लिए भारत जवाबी कार्रवाई के साथ ही अन्य विकल्पों पर भी विचार कर रहा है। इसमें सिंधु जल समझौता प्रमुख है।
भारत पाकिस्तान को दिए जाने वाले सिंधु नदी के पानी की समीक्षा कर सकता है। पीएम मोदी सोमवार को इस संबंध में बैठक करेंगे।
बैठक में जल संसाधन और विदेश मंत्रालय के अधिकारी शामिल होंगे। इस दौरान समझौते से जुड़े दूरगामी परिणामों पर चर्चा की जाएगी।
सिंधु नदी को पाकिस्तान की जीवन रेखा कहा जाता है। इस पर पाकिस्तान की बड़ी आबादी पेयजल और कृषि संबंधी जरूरतों के लिए आश्रित है।
अगर भारत इसका पानी रोक दे तो पाकिस्तान को एक-एक बूंद के लिए तरसना पड़ सकता है। वहीं विदेश मामलों के जानकारों का कहना है कि पाकिस्तान को झटका देने के लिए भारत को बिना विलंब किए यह संधि तोड़ देनी चाहिए।
पाकिस्तान भी भारत से हुए समझौतों का पालन नहीं करता तथा आए दिन कश्मीर में खूनी खेल खेलता है, इसलिए उसके साथ जल समझौते को तोडऩा ही उचित है।
1948 में भारत ने सिंधु नदी का पानी रोक दिया था। इससे पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था डगमगाने लगी। उसके अनुरोध करने के बाद भारत ने 1960 में सिंधु नदी जल समझौता किया।
उसके बाद आज तक पाकिस्तान को लगातार पानी दिया जा रहा है। सिंधु के अलावा रावी और झेलम नदियां भी भारत से होकर ही पाकिस्तान जाती हैं।
अगर भारत इनका पानी रोकने का फैसला कर ले तो कुछ ही दिनों में पाकिस्तान घुटने टेक देगा।
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