पाकिस्तान के प्रधानमंत्री के विदेशी मामलों के सलाहकार सरताज अजीज ने कहा कि भारत सिंधु जल संधि को एकतरफा खत्म नहीं कर सकता।
उन्होंने यह बात सिंधु जल समझौते के क्रियान्वयन में पाकिस्तान से सहयोग को धीमा करने के भारत के फैसले के एक दिन बाद कही।
पाकिस्तानी मीडिया के अनुसार सरताज अजीज ने नेशनल असेम्बली में शरीन मजारी तथा अन्य सदस्यों के ध्यानाकर्षण प्रस्ताव के उत्तर में कहा कि सिंधु जल संधि में निगरानी की कोई व्यवस्था नहीं है, लेकिन अंतरराष्ट्रीय कानून के अनुसार भारत इस संधि को एकतरफा खत्म नहीं कर सकता।
अजीज ने कहा कि अगर भारत संधि का एकतरफा उल्लंघन करता है तो उसे माकूल जवाब दिया जाएगा। अगर जरूरत पड़ी तो पाकिस्तान अंतरराष्ट्रीय न्यायालय में भी जाएगा।
उन्होंने कहा कि इस मुद्दे पर पाकिस्तान को मिलने वाला अंतरराष्ट्रीय समर्थन बढ़ रहा है और हम संधि को खत्म करने के खतरे के बारे में सुरक्षा परिषद के पांच स्थायी सदस्यों से भी संपर्क करने का विचार कर रहे हैं।
पाकिस्तानी प्रधानमंत्री नवाज शरीफ के सलाहकार सरताज अजीज ने नेशनल एसेंबली को बताया कि अंतरराष्ट्रीय कानून के तहत भारत अकेला इस संधि से अलग नहीं हो सकता है।
करगिल और सियाचिन युद्ध के दौरान भी इस संधि को नहीं तोड़ा गया था।उन्होंने कहा, समझौता रद्द करने की कार्रवाई को दोनों देशों के बीच युद्ध की कार्रवाई के तौर पर लिया जा सकता है।
उन्होंने कहा कि समझौते को एकतरफा तौर पर रद्द करना पाकिस्तान और इसकी अर्थव्यवस्था के लिए खतरे की घंटी होगी।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 56 साल पुराने सिंधु जल समझौते की एक समीक्षा बैठक की कल अध्यक्षता की थी जिस दौरान यह फैसला किया गया कि भारत झेलम सहित पाकिस्तान नियंत्रित नदियों के जल का बंटवारा समझौते के मुताबिक ‘अधिकतम दोहन' करेगा।
हमले में 18 सैनिकों के शहीद होने के बाद पाकिस्तान पर पलटवार करने के भारत के पास विकल्पों की तलाश करने के मद्देनजर यह बैठक हुई।
हमले के बाद यह मांग की जाने लगी कि सरकार पाकिस्तान पर दबाव बनाने के लिए जल बंटवारा समझौता को रद्द कर दे।
समझौते के तहत व्यास, रावी, सतलुज, सिंधु, चेनाब और झेलम...छह नदियों के पानी का दोनों देशों में बंटवारा होना था।
0 comments:
Post a Comment