भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) में उसके पांच सहयोगी बैंकों और भारतीय महिला बैंक के विलय का रास्ता साफ हो गया है। बुधवार को PM नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट की बैठक में इस प्रस्ताव को मंजूरी दी गई।
विलय किए जाने वाले बैंकों में स्टेट बैंक ऑफ बीकानेर एंड जयपुर, स्टेट बैंक ऑफ त्रावणकोर, स्टेट बैंक ऑफ पटियाला, स्टेट बैंक ऑफ मैसूर और स्टेट बैंक ऑफ हैदराबाद शामिल हैं।
मार्च 2017 तक विलय की प्रक्रिया पूरी हो जाने की उम्मीद है। इससे पहले 2008 में स्टेट बैंक ऑफ सौराष्ट्र का और 2010 में स्टेट बैंक ऑफ इंदौर का एसबीआई में विलय हुआ था।
एसबीआई की चेयरपर्सन अरुंधति भट्टाचार्य ने कैबिनेट के फैसले का स्वागत करते हुए कहा कि इससे स्टेट बैंक दुनिया के 50 बड़े बैंकों में शामिल हो जाएगा। अभी देश का कोई भी बैंक दुनिया के 50 शीर्ष बैंकों की सूची में नहीं है। उन्होंने कहा कि विलय से सहयोगी बैंकों के ग्राहकों को लाभ होगा।
एसबीआई द्वारा अपनाई जाने वाली कोई भी नई प्रौद्योगिक सहयोगी बैंकों को भी उपलब्ध कराई जाएगी। इस विलय से एसबीआई का कुल कारोबार 37 लाख करोड़ रुपए को पार कर जाएगा। अभी देश में एसबीआई की 16,500 शाखाएं हैं। दुनिया के 36 देशों में भी 191 कार्यालय हैं।
एसबीआई के प्रबंध निदेशक और ग्रुप एक्जीक्यूटिव वी.जी. कन्नन ने बताया कि सहयोगी बैंकों के मूल्याकंन की प्रक्रिया जल्दी ही शुरू की जाएगी। इसमें दो महीने का वक्त लगेगा। उन्होंने बताया कि इस कदम से बैंक की लागत कम होगी। एक ही जगह पर कई बैंकों की शाखाएं होने की समस्या से भी निपटने में मदद मिलेगी।
वित्त मंत्री अरुण जेटली ने बैंक अधिकारियों के दूसरे वार्षिक सम्मेलन ‘ज्ञान संगम’ में कहा था कि देश को अधिक संख्या में बैंक की नहीं, बल्कि बड़े बैंकों की जरूरत है।
पिछले महीने एसबीआई के बोर्ड ने सरकार को सहयोगी बैंकों के विलय का प्रस्ताव दिया था। सूत्रों के मुताबिक एसबीआई के बाद दूसरे बैंकों को भी विलय के लिए राजी करना है। बैंक ब्यूरो इसकी कोशिशे कर रहा है।
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