भारत सोमवार को मिसाइल टेक्नोलॉजी कंट्रोल रिजीम (एमटीसीआर) में औपचारिक तौर पर शामिल हो गया है. दुनिया के चार महत्वपूर्ण परमाणु टेक्नोलॉजी निर्यात करने वाले खास देशों के समूह में एमटीसीआर अहम है. NSG में शामिल होने की हालिया कोशिश की नाकामी बाद इसे बेहतर माना जा रहा है. बीते साल ही भारत ने एमटीसीआर की सदस्यता के लिए आवेदन किया था.
फ्रांस की राजधानी पेरिस में हुई बैठक में यह फैसला लिया गया था. इसके बाद नई दिल्ली में फ्रांस, नीदरलैंड और लक्जेमबर्ग के राजदूतों के साथ इस फैसले को अमली दजामा पहना दिया गया.
इस मौके पर भारत ने सबकी सहमति से एमटीसीआर का सदस्य बनाए जाने के लिए सभी सदस्य देशों का आभार जताया.
विदेश सचिव एस जयशंकर सोमवार को फ्रांस, नीदरलैंड और लक्जमबर्ग के राजदूतों की मौजूदगी में इस क्लब में शामिल होने के दस्तावेज पर हस्ताक्षर करेंगे.
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता विकास स्वरूप ने एनएसजी मेंबरशिप न मिलने को नाकामी मानने से इनकार करते हुए कहा कि इस मामले में हमें अपेक्षित परिणाम नहीं मिले.
एमटीसीआर में शामिल होने के बाद भारत दो अन्य समूहों ऑस्ट्रेलियन ग्रुप और वास्सेनार एग्रीमेंट में शामिल होने की कोशिश करने वाला है. एनएसजी की सदस्यता के लिए भी कोशिश जारी रखने की बात कही गई है. स्वरूप ने बताया कि सोमवार को भारत एमटीसीआर का पूर्ण रूप से सदस्य बन जाएगा.
चीन MTCR का मेंबर नहीं है, लेकिन वह इसकी गाइडलाइन मानने पर राजी है।इसका मकसद बैलिस्टिक मिसाइलों को बेचने की लिमिटेशन तय करना है।
MTCR मुख्य रूप से 500 kg पेलोड ले जाने वाली और 3000 किमी तक मार करने वाली मिसाइलों और अनमैन्ड एरियल व्हीकल टेक्नोलॉजी (ड्रोन) के खरीदे-बेचे जाने पर कंट्रोल रखता है।
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