लंदन। भारतीय हॉकी टीम ने पहली बार चैंपियंस ट्रॉफी हॉकी टूर्नामेंट के फाइनल में पहुंचकर इतिहास रच दिया। ग्रेट ब्रिटेन और बेल्जियम का मुकाबला 3-3 से ड्रॉ रहने के साथ ही भारत को फाइनल में प्रवेश मिल गया।
वैसे गुरुवार को भारत को ऑस्ट्रेलिया ने 4-2 से मात दे दी थी लेकिन उसकी उम्मीदें ग्रेट ब्रिटेन और बेल्जियम के मैच पर टिकी थीं।
अगर ब्रिटेन जीत जाता तो उसे फाइनल में एंट्री मिल जाती लेकिन अगर मैच ड्रॉ होता या फिर बेल्जियम 3 या उससे कम गोल करके जीतता तब भी भारत को एंट्री मिल जाती और हुआ भी ऐसा ही, बेल्जियम और ग्रेट ब्रिटेन का मैच 3-3 से ड्रॉ रहा जिसके साथ दोनों टीमें फाइनल में जगह बनाने से चूक गईं और अंक तालिका में दूसरे नंबर की टीम भारत को फाइनल में एंट्री मिल गई।
अब फाइनल में भारत का मुकाबला एक बार फिर विश्व नंबर एक टीम ऑस्ट्रेलिया से होगा। अब भारतीय टीम का कम से कम रजत पदक पक्का हो गया है। भारत ने आखिरी बार 1982 में चैंपियंस ट्रॉफी में कांस्य पदक जीता था।
ऑस्ट्रेलिया 5 मैचों से 13 अंकों के साथ अंक तालिका में शीर्ष पर रहा। भारत 2 जीत, 1 हार और 2 ड्रॉ के साथ 7 अंक हासिल कर दूसरे स्थान पर रहा। जर्मनी और ग्रेट ब्रिटेन 6-6 अंकों के साथ क्रमश: तीसरे और चौथे स्थान पर रहे।
भारत-ऑस्ट्रेलिया मैच में पहला क्वार्टर गोल रहित रहा लेकिन दूसरे क्वार्टर में 21वें मिनट पर अपने पांचवें पेनल्टी कॉर्नर पर मिटन ने गोल करके ऑस्ट्रेलिया को बढ़त दिला दी। इसके दो मिनट बाद 23वें मिनट में जेल्यूस्की ने गोल किया और ऑस्ट्रेलिया को 2-0 की बढ़त मिल गई।
दूसरे क्वार्टर की समाप्ति तक ऑस्ट्रेलियाई टीम 2-0 की बढ़त के साथ भारत के लिए मुश्किलें बढ़ाती नजर आ रही थी।
35वें मिनट पर ऑस्ट्रेलिया ने भारत की मुश्किलें तब और बढ़ा दीं जब ओगिल्वी ने सर्कल के अंदर जगह का फायदा उठाते हुए शानदार गोल किया और ऑस्ट्रेलिया ने 3-0 की बढ़त बना ली।
मैच के 43वें मिनट में भारत को पेनल्टी कॉर्नर के रूप में शानदार मौका जरूर मिला लेकिन हरमनप्रीत इसका फायदा नहीं उठा सके।
भारतीय फैंस को इसके दो मिनट के बाद 45वें मिनट में थोड़ी राहत तब मिली जब तीसरे क्वार्टर के खत्म होते-होते रघुनाथ ने पेनल्टी कॉर्नर को गोल में तब्दील करके भारत को पहली सफलता दिलाई।
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