वॉशिंगटन. भारत ने जैश-ए- मोहम्मद के सरगना मसूद अजहर पर बैन लगाने की कोशिश नाकाम होने के बाद चीन पर आतंकियों और पाकिस्तान को बचाने का आरोप लगाया है। यूएन में न्यूक्लियर सिक्युरिटी समिट के दौरान भारत की तरफ से जारी एक स्टेटमेंट में चीन और पाकिस्तान का नाम नहीं लिया गया है।
बता दें कि भारत पठानकोट हमले के मास्टरमाइंड मसूद अजहर पर बैन की मांग कर रहा था, लेकिन चीन ने इसे वीटो कर दिया था। स्टेटमेंट में कहा गया है 2001 से जैश यूएन सिक्युरिटी काउन्सिल की बैन लिस्ट में शामिल है, क्योंकि वो आतंकी संगठन है और उसके अल कायदा से लिंक हैं।
इसमें आगे कहा गया है लेकिन टेक्निकल वजहों से जैश के सरगना पर बैन नहीं लगाया जा सका है। 2 जनवरी को पठानकोट हमले के बाद ये फिर साबित हो गया कि अजहर को बैन न किए जाने के क्या खतरनाक नतीजे हो सकते हैं। स्टेटमेंट में कहा गया है कि इस तरह के आतंकी संगठनों को बैन न किए जाने का खामियाजा पूरी दुनिया को उठाना पड़ सकता है।
यूएन कमेटी में 31 मार्च को अजहर मसूद को बैन करने पर फैसला होना था। कमेटी में शामिल 15 में से 14 देश इसके हक में थे। बैन के सपोर्ट में अमेरिका, यूके और फ्रांस जैसे देश थे। सिर्फ चीन ने इसके विरोध में वीटो कर दिया। हैरानी की बात ये है कि चीन ने इसकी वजह भी नहीं बताई।
माना जाता है कि चीन ने पाकिस्तान की वजह से ऐसा किया। भारत सरकार के मुताबिक, बैन करने के फैसले से पहले चीन ने पाकिस्तान से बात की थी। बता दें कि पाकिस्तान इस कमेटी का मेंबर नहीं है। लिहाजा, चीन ने फैसले के खिलाफ वीटो कर इसे रुकवा दिया। इससे पहले भारत ने यूएन कमेटी से कहा था कि अजहर को बैन न करने से भारत और साउथ एशिया के दूसरे देशों पर खतरा मंडराता रहेगा।
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