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श्वेता ने ‘मिस इंडिया स्पोर्ट्स फिजिक’ चैंपियनशिप में गोल्ड मेडल हासिल किया

जयपुर.    फिटनेस और बॉडी बिल्डिंग एक ऐसा क्षेत्र है जहां हमेशा से पुरुषों का दबदबा रहा है। लेकिन धीरे-धीरे महिलाएं भी यह साबित कर रही हैं कि वो कहीं भी किसी से कम नहीं। यही साबित किया देश की पहली महिला बॉडी-बिल्डर श्वेता राठौड़ ने, जो मूलत: जयपुर से हैं।

वेट लिफ्टिंग, पुल अप्स, पुश अप्स और मार्शल आर्ट्स में ट्रेंड श्वेता ने मुंबई में आयोजित ‘मिस इंडिया स्पोर्ट्स फिजिक’ चैंपियनशिप में गोल्ड मेडल हासिल किया। इस चैंपियनशिप में कॉमप्लेक्शन, पॉइज और 90 सेकंड की परफॉर्मेंस के आधार पर विनर्स चुने जाते हैं।  इससे पहले श्वेता ने 2014 में मिस वर्ल्ड फिटनेस फिजिक का ख़िताब जीता। उसके बाद 2015 के एशियाई चैम्पियनशिप में देश के लिए पहला सिल्वर मेडल हासिल किया।

श्वेता बताती हैं, स्कूल में सब मुझे मोटी कहकर बुलाते थे। हालांकि मैं मोटी नहीं थी बस मेरा स्ट्रक्चर थोड़ा अलग था।
इसलिए मैंने 11वीं क्लास से वर्कआउट करना शुरू किया। शुरुआत में पिता को मेरा जिम जाना मंज़ूर नहीं था। लेकिन मैं ट्यूशन के समय जिम में वर्क आउट करती थी।

 मुझे इसमें इतना मजा आता था कि जब बाकी लोग 100 क्रंचेज करके रुक जाते थे, मैं हजार करके भी थकती नहीं थी।
 धीरे-धीरे बॉडी बिल्डिंग में आ गई। मैं इस मिथ को तोड़ना चाहती थी कि लड़कियां मसल्स बनाने पर खूबसूरत नहीं लगतीं।
मेरी मेहनत के कारण पिता भी मां और भाई की तरह मेरा साथ देने लगे।

श्वेता ने आगे बताया कि उन्हें मालूम था एजुकेशनल क्वालिफिकेशन बेहद जरूरी है इसलिए पहले इलेक्ट्रॉनिक्स एंड कम्यूनिकेशन में इंजीनयिरिंग की डिग्री ली और फिर 8 साल एक कंपनी में बतौर वाइस मार्केटिंग हेड काम किया। वो कहती हैं, "कुछ पाने के लिए खुद को बहुत कुछ खोना पड़ता है। 

गर्मियों की छुट्टियों में जब सब दोस्त और परिवार के लोग घूमने जाते थे, मैं बस जिम में वर्कआउट करती थी। खुद की काबिलियत साबित करने की जिद थी और खुद से हारना नहीं चाहती थी। प्रोफेशनल बनने के बाद भी जिम का साथ नहीं छोड़ा। ऑफिस के बाद शाम को 1 घंटा जिम जाती। अपने आप को पूरी तरह से इंडिपेंडेंट बनाने के बाद मैंने अपने सपने की ओर पहला कदम उठाया। जॉब छोड़कर पूरा समय वर्कआउट को देना शुरू किया।’

श्वेता मुंबई में एक एनजीओ भी चलाती हैं, जहां उनके जैसे सपना रखने वालों को पढ़ाया जाता है। श्वेता कहती हैं,"महिलाओं को अपने सपनों को सीमा में नहीं बांधना चाहिए। भारत में टैलेंट हैं, लेकिन सही राह नहीं। यहां महिलाएं अपने परिवार संभालने में अपनी हेल्थ को भूल जाती हैं। यही वजह है देश में महिलाओं में बढ़ती बीमारियों की।
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