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MP BUDGET : कृषि, सिंचाई, बिजली, सड़कों और विकास पर फोकस

भोपाल। वित्त मंत्री जयंत मलैया ने 2016-17 के बजट भाषण में पिछले सालों में सड़क, बिजली और सिंचाई सुविधाओं के विकास पर हुए निवेश व निर्मित सुविधाओं के बेहतर प्रबंधन का लाभ मिलने का दावा किया। राज्य की अर्थव्यवस्था लगभग दस फीसदी की औसत वृद्धि दर से आगे बढ़ रही है और इस उच्च विकास दर को बनाए रखने के लिए सरकार प्रयास जारी रखेगी। कृषि पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है।
सरकार ने स्वीकार किया है कि खरीफ 2015 में अल्प वर्षा, सितंबर के उच्च तापमान से सोयाबीन, उड़द, मूंग को नुकसान हुआ था परंत अरहर, मक्का व कपास की फसलें विगत सालों से बेहतर रहीं। वर्तमान में गेहूं, सरसों, मसूर, चना आदि रबी फसलों की स्थिति संतोषजनक है। राष्ट्रीय फसल बीमा योजना के तहत सूक्ष्म मॉनीटरिंग तथा त्वरित निर्णयों से खरीफ 2015 में प्रदेश में फसल में हुई हानि के विरुद्ध 4300 करोड़ से ज्यादा के दावे निर्मित हुए, जिनके दावों का भुगतान किसानों के खातों में शीघ्र किया जाएगा।
कृषि में यंत्रीकरण को बढ़ावा देने से वर्ष 2005 में फार्म पावर 0.83 किलोवाट प्रति हेक्टेयर थी, जो वर्ष 204-15 में बढ़कर 1.73 किलोवाट प्रति हेक्टेयर हो गई है। अब लक्ष्य है कि 2018 तक यह दो किलोवाट प्रति हेक्टेयर फार्म पावर पहुंच जाए।
कृषि शिक्षा एवं अनुसंधान अधोसंरचना के विस्तार के लिए राज्य शासन ने जहां दस सालों में दो नए कृषि महाविद्यालयों की स्थापना के बाद अब होशंगाबाद के पवारखेड़ा में भी एक एग्रीकल्चर कॉलेज खोले जाने का प्रस्ताव है। मध्यप्रदेश अभिवहन (वनोपज) नियम 2000 में संशोधन करते हुए 38 गैर वानिकी वृक्ष प्रजातियों को परिवहन अनुज्ञा पत्र की आवश्यकता से मुक्त किया गया है।
प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना खरीफ 2016 से आरंभ की जा रही है। फसल कृषि कर्म, मृदा तथा जल संरक्षण एवं कृषि अनुसंधान और शिक्षा के लिए वर्ष 2016-17 के बजट में आयोजना मद में 2448 करोड़ रुपए का प्रावधान किया है।
 शीतगृहों की क्षमता बढ़ाई जाएगी। निजी क्षेत्रों के शीतगृहों की क्षमता 9.50 लाख टन से बढ़ाकर 15 लाख टन करने के लिए प्रोत्साहन कार्यक्रम चलाया जाएगा। राज्य में किसानों का प्याज उत्पादन की तरफ रुझान बढ़ा है जिसके कारण देश में मप्र दूसरे नंबर का प्याज उत्पादक राज्य बन गया है। प्याज के भंडारण के लिए विशेष कार्यक्रम चलाया जाएगा और इससे 80 हजार टन प्याज भंडारण क्षमता को पांच लाख टन करने का लक्ष्य है। उद्यानिकी विकास के लिए 578 करोड़ का बजट प्रावधान है।
राज्य में प्रति व्यक्ति दूध उलब्धता बढ़ी है और यह 383 ग्राम तक पहुंच गई है। यह राष्ट्रीय और विश्व औसत के साथ भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद की अनुशंसा से ज्यादा है। देश में दो प्रस्तावित नेशनल कामधेनू ब्रीडिंग सेंटर में से एक प्रदेश में स्थापित किए जाने की मंजूरी मिल गई है। पशुपालन का 402 करोड़ रुपए का बजट प्रावधान है।
राज्य के सिंचाई जलाश्यों की 96 किलोग्राम मत्स्य उत्पादकता है जो राष्ट्रीय मत्स्य उत्पादकता 55 किलोग्राम से ज्यादा है। प्रदेश में चार लाख हेक्टेयर जल क्षेत्र में से लगभग पूरा मछलीपालन के लिए उपयोग में लाया जा रहा है। मत्स्यपालन का बजट 39 करोड़ रुपए है।
प्रदेश में 21 वृहद, 30 मध्यम और 241 लघु सिंचाई परियोजनाएं निर्माणाधीन हैं जिनमें से दो वृहद परियोजनाएं माही व बरियारपुर बांधों का निर्माण हो चुका है। छिंदवाड़ा में पेंच, टीकमगढ़ में बानसुजारा, राजगढ़ में मोहनपुरा वृहद परियोजनाओं का काम तेजी से चल रहा है। राजगढ़ में ही कुंडलिया वृहद परियोजना का काम शुरू हो चुका है। केन-बेतवा लिंक परियोजना की वन (संरक्षण) अधिनियम और वन्य जीव संरक्षण अधिनियम अंतर्गत स्वीकृति के लिए राज्य ने केंद्र को अपनी अनुशंसा भेज दी है।
बजट में कहा गया है कि मप्र को नर्मदा का आवंटित जल 2024 के पहले पूरी तरह से उपयोग कर लिया जाएगा, इसके लिए सरकार प्रयास कर रही है। इंदिरा सागर परियोजना नहर से आदिवासी बाहुल्य बड़वानी और औंकारेश्वर परियोजना नहर से आदिवासी बाहुल्य धार जिले में पहली बार नर्मदा जल पहुंचाने में सफलता प्राप्त की जा चुकी है।
बजट भाषण में बताया कि नर्मदा-क्षिप्रा सिंहस्थ लिंक योजना 14 माह में पूरी कर ली गई। इस योजना से सिंहस्थ पर्व के लिए क्षिप्रा में भरपूर पानी मिलेगा। योजना से देवास और उज्जैन की पेयजल समस्या का स्थाई समाधान हो गया है। अगले चरण में 2187 करोड़ की नर्मदा मालवा गंभीर लिंक योजना पर काम शुरू हो गया है जिससे 50 हजार हेक्टेयर सिंचाई क्षमता निर्मित होगी। कालीसिंध व पार्वती नदियों में नर्मदा जल प्रवाहित करने की योजनाओं का तकनीकी प्रस्ताव तैयार किए जा रहे हैं। प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना के तहत प्रदेश के 51 जिलों में जिला सिंचाई प्लान तैयार किए जा रहे हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में सिंचाई प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना-वाटर शेड विकास के नाम से नई योजना शुरू की गई है जिसके लिए 250 करोड़ रुपए का प्रावधान किया है।
बजट भाषण में वित्त मंत्री ने कहा है कि प्रदेश में 2344 हेक्टेयर में 25 नए औद्योगिक क्षेत्रों में 560 करोड़ रुपए खर्च कर इकाइयां स्थापित की जाना है। उद्योगों की स्थापना के लिए अधोसंरचना विकास व प्रोत्साहन सहायता हेतु 2462 करोड़ रुपए का प्रावधान प्रस्तावित है। भोपाल, ग्वालियर और जबलपुर में आईटी पार्क की स्थापना का कार्य पूरा होने की संभावना है। इलेक्ट्रॉनिक मैन्यूफेक्चरिंग क्लस्टर्स की भोपाल और जबलपुर में स्थापना की जा रही है।
केंद्र सरकार द्वारा प्रायोजित पर्यटन अधोसंरचना का निर्माण योजना के लिए वर्ष 2015-16 से वित्तीय सहायता बंद कर दी गई है जिससे अब राज्य अपने वित्तीय ाोतों से धनराशि उपलब्ध कराएगा। बजट में पर्यटन के लिए 251 करोड़ रुपए का प्रावधान किया है।

सड़क परिवहन की स्थिति को बेहतर बनाने के लिए स्टेट हाईवे को उन्न्यन किए जाने के बाद अब 19000 किलोमीटर के जिला मार्गों को अगले तीन साल में फिर से बनाए जाने का टारगेट तय किया है। इसके लिए एडीबी व न्यू डेवलपमेंट बैंक से ऋण लेने की कोशिशें की जा रही हैं। प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना की पांच हजार किलोमीटर लंबी सड़कों को 2016-17 में बनाने का बजट में प्रस्ताव है।
बिजली कंपनियों के 7568 करोड़ रुपए की ऋण राशि को बजट के प्रावधानों के मुताबिक उनकी अंशपूंजी में परिवर्तित करने का प्रस्ताव है। इससे बिजली कंपनियों की बैलेंस शीट में सुधार होगा और वे अपनी जरूरत के मुताबिक बाजार से लोन प्राप्त कर सकेंगे।
राज्य सरकार ने आज वर्ष 2016-17 के बजट में एक लाख 26 हजार 95 करोड़ रुपए की राजस्व प्राप्तियों और एक लाख 22 हजार 585 के कुल राजस्व व्यय का अनुमानित किया है। इसके लिए 24 हजार 913 करोड़ रुपए के राजकोषीय घाटे का अनुमान लगाया गया है। यह राज्य के सकल घरेलू उत्पाद का 3.49 फीसदी अनुमानित है।

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