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SMART CITY : 333 एकड़ जमीन पर विकसित होगी ,10 साल में स्मार्ट सिटी बन जाएगा भोपाल

भोपाल । केंद्र सरकार ने गुरुवार को भोपाल को स्मार्ट सिटी बनाने की घोषणा कर दी। इससे भोपाल अगले 10 साल में स्मार्ट सिटी बन जाएगा। स्मार्ट सिटी का काम 10 महीने बाद जमीन पर दिखाई देने लगेगा। इसके लिए केंद्र और राज्य सरकार से नगर निगम को हर साल 200 करोड़ रुपए मिलेंगे।
इसमें 100 करोड़ केंद्र और 100 करोड़ राज्य का अंश होगा। स्मार्ट सिटी तुलसी नगर व शिवाजी नगर की 333 एकड़ जमीन पर पर विकसित होगी। इसकी लागत 3 हजार 440 करोड़ रुपए आएगी। हालांकि भोपाल स्मार्ट सिटी की सूची में सबसे आखिरी (20वें) स्थान पर है।
स्मार्ट सिटी के 333 एकड़ क्षेत्र में से मौजूदा पक्के निर्माणों के 28 फीसदी भाग में ही स्मार्ट सिटी बनाई जाएगी, जबकि मौजूदा निर्माण क्षेत्र 34 फीसदी हिस्से में पक्के निर्माण हैं। निगम अधिकतर हिस्सा खुला क्षेत्र घोषित करेगा। स्मार्ट सिटी में आधुनिक सुविधाओं के साथ ही सभी आय वर्ग के लिए 9 हजार 126 मकान बनेंगे। स्मार्ट सिटी पूरी तरह वाईफाई होगी।

स्मार्ट सिटी बनाने के दौरान किसी पेड़ को काटा नहीं जाएगा, जो प्लानिंग की गई है, उसमें हरियाली का पूरा ध्यान रखा गया है। पेड़ को छोड़कर सिर्फ पक्के निर्माणों के स्थान पर ही नए सिरे से विकास कार्य किए जाएंगे। इसके अलावा शॉपिंग मॉल, एजुकेशन हब, मेडिकल हब, पार्क और अन्य सुविधाएं लोगों को एक ही स्थान पर मिलेंगी।
शिवाजी नगर और तुलसी नगर में स्मार्ट सिटी 333 एकड़ क्षेत्र में होगी। इसमें 28 फीसदी क्षेत्र में निर्माण किया जाएगा। इसमें से 70 फीसदी निर्माण आवासीय होगा और 30 प्रतिशत हिस्सा व्यावसायिक गतिविधियों के लिए रखा गया है। आबादी का घनत्व 330 व्यक्ति प्रति हेक्टेयर (पीपीएच) अनुमानित है।
स्मार्ट सिटी में रीडेंसीफिकेशन के तहत क्षेत्र के 1835 सरकारी आवासों को तोड़कर निर्माण किया जाएगा। यह आवास क्षेत्र में 50 फीसदी हिस्से में हैं। इनके स्थान पर निगम क्षेत्र में 1940 सरकारी आवास बनाकर देगा। मकान बहुमंजिला होंगे। क्षेत्र में कुल 9126 मकान बनेंगे।
 दूसरी व्यवस्था पेन सिटी में सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट की है। इसके तहत साफ-सफाई व्यवस्था सुदृढ़ की जाएगी। कचरा कंटेनरों में सेंसर लगेंगे। इन्हें कंट्रोल रूम से जोड़ा जाएगा, ताकि कंटेनर भरने पर इन्हें खाली किया जा सके। कचरे से बिजली भी बनाई जाएगी।
 तीसरी व्यवस्था के तहत पूरे शहर पानी सप्लाई सीवेज की समस्या से मुक्ति है। व्यवस्था पूरे शहर में लागू होगी। सीवेज के लिए 900 करोड़ और पानी सप्लाई के लिए 450 करोड़ रुपए का प्रस्ताव है।
अब स्मार्ट सिटी के लिए कंपनी (स्पेशल पर्पस कंपनी) बनाने का काम शुरू होगा। इस कंपनी के लिए केंद्र सरकार सीईओ की नियुक्ति करेगी। जो स्मार्ट सिटी संबंधी पूरे कार्य पर नजर रखेगी। कंपनी बनाने की प्रक्रिया में करीब 8 महीने का समय लगेगा। कंपनी के संचालक मंडल में कलेक्टर और नगर निगम कमिश्नर भी होंगे। दो-चार महीने अन्य औपचारिकता में लगेंगे। इसके कारण जमीन पर काम नवंबर-दिसंबर 2016 में ही दिखाई देगा। कंपनी नगर निगम के तहत काम करेगी।
अगले आठ महीने में तुलसी नगर व शिवाजी नगर के 1835 सरकारी क्वार्टरों को खाली कराया जाएगा। इसके लिए राज्य सरकार व नगर निगम के बीच एमओयू पर हस्ताक्षर हो गए हैं। क्वार्टर खाली कराने और दूसरी जगह आवंटन करानी की जिम्मेदारी राज्य सरकार की होगी।
जिन 20 शहरों को स्मार्ट सिटी के लिए चुना गया है। केंद्रीय शहरी विकास मंत्रालय के अधिकारी देश उन 20 शहरों के नगर निगम कमिश्नर भाग लेंगे। इनके साथ ही सीएस भी भाग लेंगे।
नगरीय विकास एवं पर्यावरण विभाग के आयुक्त विवेक अग्रवाल ने बताया कि स्मार्ट सिटी क्षेत्र के निवासियों को अलग से कोई टैक्स नगर निगम को नहीं देना होगा। उल्टे लोगों को आधुनिक सुविधाएं मिलने लगेंगी।
ऐसी होगी स्मार्ट सिटी
 स्मार्ट सिटी का निर्माण 333 एकड़ में, निर्माण क्षेत्र 64584 वर्ग मीटर, पहले फेस में स्मार्ट सिटी निर्माण पर खर्च 3437 करोड़ रुपए, पांच साल में केंद्र व राज्य सरकार से अनुदान 1000 करोड़ ,अमृत व अन्य योजनाओं से 460 करोड़ जुटाएंगे ,1977 करोड़ की राशि लोन व सम्पत्ति बेचकर जुटाई जाएगी।, स्मार्ट सिटी से प्रस्तावित आय 6755 करोड़ प्रोजेक्ट पूरा होने तक, आवासीय क्षेत्र 70 फीसदी (एफएआर का),व्यावसायिक क्षेत्र 30 फीसदी (एफएआर का), एफएआर मौजूदा मास्टर प्लान के अनुसार 2.5 ,  ग्रीन लैंड व खुला क्षेत्र 75 फीसदी- स्मार्ट सिटी के लिए 4 लाख 5 हजार लोगों ने सुझाव दि , स्मार्ट सिटी में सायकल लेन बनेगा- स्मार्ट सिटी में सड़कें चौड़ीं होंगी .,दयात्रियों के लिए अलग प्रावधान ,7 दिन 24 घंटे बिजली व पानी- कचरा प्रबंधन ,सभी वर्गों के लिए आवासगै,स पर आधारित पावर प्लांट-सौर ऊर्जा के प्लांटस्मा,र्ट मीटरिंग ,हाई स्पीड इंटरनेट- स्मार्ट पार्किंगसु,रक्षा उपाए व कैमरे से निगरानी


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