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जीएसटी बिल लंबित, संसद का शीतकालीन सत्र अनिश्चितकाल के लिए स्थगित

नई दिल्ली : संसद का शीतकालीन सत्र आज अनिश्चितकाल के लिए स्थगित हो गया और इस दौरान विभिन्न मुद्दों पर विपक्ष के हंगामे के कारण दोनों सदनों विशेषकर राज्यसभा में कायवाही के बार बार बाधित होने के बीच कई महत्वपूर्ण विधेयक पारित हुए लेकिन आर्थिक सुधारों के लिए अहम माने जाने वाले वस्तु एवं उत्पाद कर विधेयक (जीएसटी) पारित नहीं हो पाया।
हंगामा पर अप्रसन्नता जताते हुए उच्च सदन के सभापति हामिद अंसारी ने सांसदों को आत्ममंथन करने तथा उन रवैयों और चलन से बचने को कहा जिससे राज्यसभा की गरिमा कम होती हो। गत 26 नवंबर से शुरू हुए संसद के शीतकालीन सत्र के प्रारंभ में डॉ. बीआर अंबेडकर की 125वीं जयंती के अवसर पर भारतीय संविधान के प्रति प्रतिबद्धता जताने के लिए लोकसभा में दो दिनों और राज्यसभा में तीन दिनों तक चर्चा हुई। 
इसके बाद दोनों सदनों ने भारतीय संविधान के आदर्शो और सिद्धांतों के प्रति प्रतिबद्धता जताते हुए सर्वसम्मति से एक प्रस्ताव पारित किया। हंगामे के कारण लोकसभा में आठ घंटे से ज्यादा का समय बर्बाद हुआ वहीं राज्यसभा में 47 घंटे का कामकाज बाधित हुआ और कांग्रेस ने लगभग आए दिन कोई न कोई मुद्दा उठाकर कार्यवाही को बाधित किया।
लोकसभा में 13 विधेयक पारित हुए वहीं राज्यसभा में नौ विधेयक पारित हुए लेकिन कांग्रेस के विरोध के कारण देश के कर ढांचे में महत्वपूर्ण बदलावों के प्रावधान वाला जीएसटी विधेयक पारित नहीं हो सका। लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन ने सत्र के समापन पर अपने विदाई उल्लेख में कहा कि सत्र में व्यवधानों और बाध्य स्थगनों के कारण 8 घंटे 37 मिनट का समय नष्ट हुआ। हालांकि नष्ट हुए समय की क्षतिपूर्ति के लिए 17 घंटे 10 मिनट देर तक बैठी।
राज्यसभा में सभापति अंसारी ने सत्र को अनिश्चितकाल के लिए स्थगित करने से पहले अपने पारंपरिक संबोधन में कहा, ‘सदन के कामकाज में बाधा, भले ही हाल में शुरू नहीं हुई है किन्तु इसे सदन के विभिन्न वर्ग द्वारा अलग अलग समय पर उस क्षण की रणनीति के अनुरूप विस्तृत तर्कों से जायज ठहराया जाता है। किन्तु इसके परिणाम स्वरूप समय की बर्बादी और सूचीबद्ध कामकाज की अनदेखी होती है।’ उन्होंने याद दिलाया कि सदस्यों ने एक दिसंबर को संविधान के सिद्धांतों एवं आदर्शो के प्रति प्रतिबद्धता को दोहराया था।
अंसारी ने कहा, ‘काम करने वाली विधायिका इन सिद्धांतों की अनुगामी होती है और अवरोध इनको नकारने के समान है। इस सत्र के रिकार्ड इस प्रतिबद्धता को काफी हद तक नकारते हैं।’ उन्होंने सदस्यों से इस स्थिति पर आत्ममंथन करने की अपील की।
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